आए दिन हो रहे हादसों का जिम्मेदार कौन
उरई के माननीय को चाय ना पिलाने के कारण ठेकेदार के बोरिया बिस्तर बंधे
जालौन के बस स्टैंड को अधर में लटकाने के बाद अब उरई के राजमार्ग की बारी
अबकी बार माननीय अपनी हरकतों के कारण चुनाव में होंगे जीत से बाहर
उरई(जालौन)। जनपद जालौन के उरई में रहने वाले माननीय हमेशा सुर्खियों में रहते हैं क्योंकि उरई विधानसभा में जितने भी कार्य होते हैं अगर उन ठेकेदारों ने माननीय को चाय नहीं पिलाई तो उनके बोरिया बिस्तर बंध जाते हैं क्योंकि जब चर्चाएं सुनी गई तो हर जगह माननीय की छवि दिखाइए दी यही चर्चाओं की बात करें तो जालौन में 5 साल पहले सरकार द्वारा बस स्टैंड निर्माण का शिलान्यास किया गया था व उसके निर्माण की शुरुआत करवाई गई थी। लेकिन जनपद के हर एक बच्चे की जवान पर यही कहावत मिल रही है कि माननीय को चाय न मिलने के कारण बस स्टैंड सालों अधर में लटका वही सबसे बड़ा मुद्दा जिला मुख्यालय का आता है क्योंकि यहां जनपद के सबसे बड़े अधिकारी निवास करते हैं उनके कार्यालय भी उरई में स्थित है इसमें देखने वाली बात यह है की उरई कोतवाली से लेकर जायसवाल तक राजमार्ग अपनी ठीक-ठाक स्थिति में था जिससे किसी को दिक्कत नहीं जिसके चलते रातों-रात टेंडर पास होता है कि इस मार्ग का निर्माण जल्द से जल्द करवा दिया जाए कोतवाली से जयसवाल टावर तक एक तरफ की पट्टी रातों रात डाल दी गई कार्य इतनी तेजी से हुआ कि मानो रोड 15 दिन में पूरा हो जाएगा लेकिन एक तरफ की पट्टी बनने के बाद ठेकेदार को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर भागना पड़ा अब इसमें लोगों की जवान पर फिर वही माननीय के चाय की बात आ रही है क्योंकि माननीय की चाय में हर तरह के तेज पत्ते डाले जाते है इसलिए उनको चाय पिलाना इतना आसान नहीं होता है अब देखा जाए कि वह रास्ता जिससे हर अधिकारी गुजरता है और जिले के मुख्य न्यायालय का मुख्य मार्ग है क्योंकि यह मार्ग मेडिकल कालेज , जिला न्यायालय, सीएमओ ऑफिस, बीएसएनएल ऑफिस, जिला अस्पताल, से होकर कोतवाली पर जाकर रुकता है अब देखा जाए तो अगर कोई बड़ी घटना होती है तो कोतवाल साहब की जीप भी सीधे निकालकर दाहिनी ओर नहीं जा सकती उसके लिए उन्हें कुछ कई कदमों का फासला तय करना होगा । तब उस वन में रूट पर चल पाएंगे तो ऐसी विडंबना कहां से आ गई की कोतवाली पुलिस की रफ्तार में रोक लग गई आए दिन उस एक पट्टी से गिरने के कारण घटनाएं बढ़ गई जाम की स्थिति बाद से बत्तर हो गई फिर भी किसी के कानों में जू तक नहीं रेंगी कि उस मार्ग का निर्माण सुचारू रूप से करवाया जाए क्योंकि पहली बात तो उस मार्ग को बनवाने की जरूरत ही नहीं थी और अगर बनना शुरू हुआ था तो पूरा समाप्त करके ही ठेकेदार को कम बंद करना था लेकिन आज नगर के लोग ऐसी स्थिति से जूझ रहे हैं की किसी एंबुलेंस को भी अगर अर्जेंट में जाना है तो बहुत ही लंबा राउंड लगाकर उस पट्टी पर चढ़ पाए जिसके बाद जाम को झेल कर पहुंचना होता है जिसमें मरीज की जान भी जा सकती है क्योंकि गाड़ियों के भीतर आने वाले मंत्रियों को रोड साफ मिलता है इसलिए उनको ये सब नही मालूम चलेगा लेकिन उरई की दुर्दशा करने वाले इन माननीय को नगर की जनता से कोई फर्क नहीं पड़ता । इसीलिए अब जनता ने यह मूड बना लिया है कि अगर यह माननीय चुनाव लड़ते हैं तो यह किसी भी तरह जीत का मुख नहीं देख पाएंगे।