'राकेश कुमार'
मध्य प्रदेश में कभी कांग्रेस का गढ़ रही इंदौर लोकसभा सीट पर बीते 35 सालों से भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस ने इन सालों में कई प्रयोग किए। युवा से लेकर अनुभवी उम्मीदवारों को मौका दिया, लेकिन जीत नहीं मिली,
बता दें कि कांग्रेस को इंदौर सीट पर लगातार 9 बार हार मिली है। इस सीट से वरिष्ठ भाजपा नेत्री और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने रिकॉर्ड चुनाव जीते हैं। इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो पहले दो चुनावों में पूरे देश की तरह इंदौर में भी कांग्रेस का दबदबा रहा था। 1952 में कांग्रेस प्रत्याशी नंदलाल जोशी को जीत मिली। जबकि, 1957 में कांग्रेस प्रत्याशी खादीवाला कन्हैयालाल ने चुनाव जीता था। 1957 के चुनाव में कन्हैयालाल ने जनसंघ के किशोरीलाल को हराया था। 1962 के लोकसभा चुनाव में इंदौर सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ। निर्दलीय प्रत्याशी होमी एफ.दाजी ने जीत हासिल की।
*कांग्रेस की आखिरी जीत और बीजेपी युग*
1989 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत खास था क्योंकि यह इंदौर में उसकी पहली जीत थी. बता दें कि 1989 में बीजेपी ने पहली बार सुमित्रा महाजन को टिकट दिया था। जहां उनके सामने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी थे। सेठी इस सीट से सांसद थे। खास बात यह है कि इस चुनाव में बीजेपी नेत्री ने प्रकाशचंद्र सेठी को हराकर यह सीट कांग्रेस से छीन ली। जिसके बाद कांग्रेस की यहां कभी वापसी नहीं हुई । प्रकाशचंद्र सेठी की बात करें तो उनकी गिनती उस समय के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (1972-1975) और भारत के गृह मंत्री (1982-1984) रहे हैं। प्रकाश चंद सेठी चार बार इंदौर के सांसद भी रहे, उन्होंने 1967, 1971, 1980 और 1984 में जीत हासिल की। उन्होंने एच. दाजी (आईएनडी), सत्यभान सिंघल (जनसंघ), शील कुमार निगम (जेएनपी), और राजेंद्र नीलकंठ धारकर ( बीजेपी) को मात दी थी हालांकि, उनके सामने सुमित्रा महाजन ने शानदार जीत हासिल की। इस चुनाव में सुमित्रा महाजन ने एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। खास बात ये थी कि ये उनकी रिकॉर्ड जीत थी। उस समय यह पिछले सभी चुनावों में जीत का सबसे बड़ा अंतर था। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी और कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति के मध्य निर्णायक जंग होगी।
*शंकर लालवानी ने भी बनाए रिकॉर्ड*
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सुमित्रा महाजन की जगह शंकर लालवानी को टिकट दिया। हालांकि, यहां पार्टी का उम्मीदवार बदला लेकिन बीजेपी ने फिर जीत हासिल की। शंकर लालवानी ने भी यहां रिकॉर्ड जीत हासिल की। आपको बता दें कि पिछले चुनाव में उन्होंने अब तक हुए सभी चुनावों में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। वहीं ,पूरे मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर उनकी जीत का अंतर सबसे ज्यादा था।
*इंदौर इसलिए है बीजेपी का मजबूत गढ़*
इंदौर सीट बीजेपी का बेहद मजबूत किला बन गई है । पार्टी यहां लगातार जीत रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि यहां पार्टी की जीत का अंतर भी शानदार रहता है। खास बात यह है कि नौ में से सात बार बीजेपी की जीत का अंतर एक लाख से ज्यादा और लगभग रहा है। बस 1998 और 2009 के चुनाव में बीजेपी की बढ़त 50 हजार से भी कम रही थी। वहीं, पिछले दोनों चुनावों में जीत का अंतर चार लाख से अधिक था।