नीतेश कुमार संवाददाता राकेश कुमार,,,,
रामपुरा जालौन। भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को गया पंचांग के आधार पर इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन को भाई दूज या भैय्या दूज भी कहते हैं। इस दिन को भाई-बहन के प्यार और विश्वास के रिश्ते के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है। भाई-दूज भाई-बहन के प्यार के रिश्ते का खास दिन होता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं।
भाई दूज पर तिलक लगाने का समय 3 नवंबर की दोपहर 1:10 मिनट से दोपहर 3:22 मिनट तक है. ऐसे में 3 नवंबर को भाई को तिलक करने के लिए 2 घंटे और 12 मिनट का शुभ मुहूर्त मिल रहा है.
पौराणिक मान्यता है कि अगर बहनें भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त में भाइयों को तिलक करती हैं, तो भाइयों की उम्र लंबी होती है और भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. साथ ही भाई-बहन के रिश्ते में मधुरता आती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई को आदर सत्कार के साथ अपने घर आंमत्रित किया था और भोजन कराया था.
यमराज के वरदान अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके, यम की पूजा करेगा, मृत्यु के बाद उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा. यमुना को सूर्य देव की पुत्री माना जाता है. ऐसी मान्यता हैं कि यमुना देवी सभी कष्टों को दूर करती हैं, इसलिए यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करना और यमुना-यमराज की पूजा करना फलदायी माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना जी ने अपने भाई यमराज को अपने घर पर सत्कार-पूर्वक भोजन कराया था. बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. बहन यमुना ने अपने भाई को घर बुला कर इस दिन तिलक लगाया और तरह-तरह का भोजन कराया. यमराज ने चलते वक्त बहन यमुना से मनोवांछित वरदान मांगने को कहा. यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे यहां आएंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया. तभी से इस दिन भाई दूज के नाम से मनाया जाता है।