**मां करनदेवी का रहस्य, अलौकिक नवदुर्गों के अलावा भी भक्तों का वर्षभर यहाँ लगा रहता है ताता............ हम बताते हैं आपको एक ऐसे मंदिर की रहस्य...........**

Oct 10, 2024 - 17:34
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**मां करनदेवी का रहस्य, अलौकिक नवदुर्गों के अलावा भी भक्तों का वर्षभर यहाँ लगा रहता है ताता............ हम बताते हैं आपको एक ऐसे मंदिर की रहस्य...........**
*राकेश कुमार, स्नेहलता रायपुरिया* रामपुरा(जालौन) l उत्तर प्रदेश जगम्मनपुर जालौन क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे करनखेड़ा (माँ करनदेवी) का मंदिर स्थित है, जो कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को आध्यात्मिक सेतु के रूप में जोड़ता जाता है l इस मंदिर में देवी के पैरो की पूजा होती है, जबकी बाकी हिस्से की आज भी उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है l यह मंदिर प्राचीन इतिहास का साक्षी है l इस मंदिर का नाम इस क्षेत्र के राजा कर्ण के नाम पर पड़ा है, इनका असली नाम 'सहभूमि' था l कहा जाता है कि- राजा कर्ण प्रतिवर्ष वाध्याचल जाकर सवा-मन सोना दान करते थे l इसी कारण उन्हें 'दानवीर' की उपाधी दी गई l धार्मिक मान्यता के अनुसार मालवा नरेश विक्रमादित्य को जब कर्ण के सोना दान का पता चला, तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि- इतना सोना कहां से लाते है l इसका उत्तर जानने के लिए मालवा नरेश सहभूमि के यहाँ नोकरी करने लगे l एक दिन जब सहभूमि सोना लेने विंध्याचल जाने लगे तो विक्रमादित्य ने खौलते हुए तेल की कढ़ाई में कूदकर देवी को अपना शरीर अर्पित कर दिया l देवी ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिए कहां तो मालवा नरेश ने कहा कि- 'मां आपको हमारे साथ उज्जैन चलना पड़ेगा' l इतने में राजा कर्ण (सहभूमि) आ गए उन्होने आकर देवी के पैर पकड़ लिए,और बोले माता आप यहीं पर निवास करोगी, लेकिन माता के वरदान अनुसार उनको राजा विक्रमादित्य के साथ जाना ही था l टीबी माता ने अपना शीश काटकर राजा विक्रमादित्य को दे दिया, जिसे लेकर वो उज्जैन चले गए l उज्जैन जाकर महाकालेश्वर मंदिर के पास उन्होने हरसिद्धि नाम से माता करनदेवी की स्थापना की l इसलिए जहां उज्‍जैन में आज भी माता के शीश की पूजा होती है वहीं दूसरी ओर जगम्मनपुर के बिहाड़ो में वर्तमान में माता के धड़ को पूजा जाता है l इसी के बाद से उज्जैन और यहां दोनो स्थानो पर देवी की पूजा होने लगी l महंत शंकरदास महाराज के कहने अनुसार करनदेवी व् हरसिद्धि माता दोनो के दर्शन करने से लोगो की सभी मनोकामना पूर्ण होती है l नवरात्रि में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसे देखने व माता करनदेवी के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते है l

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