लोनिवि निर्माण खंड अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना अंदाज *अनुपयोगी हुए पैंटून पुल के करोड़ों रुपए मूल्य का सैकड़ो टन लोहा व सामान अकारण हो रहा जमींदोज*

Sep 6, 2024 - 21:56
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लोनिवि निर्माण खंड अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना अंदाज *अनुपयोगी हुए पैंटून पुल के करोड़ों रुपए मूल्य का सैकड़ो टन लोहा व सामान अकारण हो रहा जमींदोज*
राकेश कुमार, सम्पादक-सतेन्द्र सिंह राजावत, रामपुरा। जालौन l स्थाई पक्का पुल बनकर चालू हो जाने के कारण लगभग 14 वर्ष पूर्व यमुना नदी पर प्रतिबर्ष बनाया जाने वाला पेंटून पुल का करोड़ों की कीमत वाला सामान व सैकड़ो टन लोहा नदी तट पर पड़े पड़े नष्ट होकर जमींदोज होता जा रहा है l माधौगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम जगम्मनपुर के पास यमुना नदी पर वर्ष 1984 - 85 में पेंटून पुल का निर्माण कराया गया था जिसमें उस समय 80 व 90 पीपो को जोड़ने के लिए लगभग 350 बड़े-बड़े मोटे लोहे के बहुत बजनदार गार्डर, एंगल, लोहे के बहुत मोटे-मोटे रस्सानुमा तार लकड़ी के मोटे मोटे लंबे खम्बे, पेंटून पुल के पीपो को गार्डर से जुड़े रखने के लिए 6-7 किलो वजन का एक भारी भरकम नट बोल्ट जिसकी संख्या सैकड़ो में होगी और लोहे के तीन चार कुंतल वजन के चार घुमावदार कांटानुमा बड़ा बजन जो लोहे की तार के सहारे पानी में फेके जाते थे जिनके वजन से पुल को पानी के वहाव में वहने से रोका जाता था, साखू व सागौन लकड़ी के मोटे-मोटे बड़े-बड़े आकार के बहुमूल्य स्लीपर जो गार्डर के ऊपर रखकर पूरे पुल पर बिछाए जाते थे, पूरे पुल से लेकर नदी के दोनों तटों पर रेत में बिछाई जाने वाली लोहे की बड़ी-बड़ी प्लेट , जींस व प्लास्टिक के बड़े-बड़े त्रिपाल और न जाने कितने प्रकार का समान उपयोग में लाया जाता था ! जब जगम्मनपुर जालौन को जूहीखा औरैया से जोड़ने के लिए यमुना नदी पर पुल बनाया गया तब नदी में पानी के कम ज्यादा होने के दृष्टिगत पुल निर्माण में उपयोग किए जाने वाले सामान के अतिरिक्त बहुत ढेर सारा अतिरिक्त सामान स्टोर किया गया l इस यमुना नदी के घाट पर पुल के रखरखाव हेतु 20-25 कर्मचारी भी नियुक्त रहते था l यह पुल जनपद जालौन औरैया इटावा के लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ , कालांतर में इसी यमुना घाट पर लगभग 18 वर्ष पूर्व पक्के पुल का निर्माण शुरू हुआ जो लगभग 2010 में पूरा होने के बाद लोकार्पण हो गया परिणामस्वरूप लगभग 14 वर्ष से इस पेंटून पुल को प्रतिवर्ष बनाए जाने और तोड़े जाने का सिलसिला समाप्त हो गया l यहां के पेंटून पुल का सामान जालौन जिला की सीमा में बनाए जाने वाले कुछ पेंटून पुल के लिए भेजा भी गया , कर्मचारी भी यहां से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिए गए लेकिन अधिकांश सामान यमुना नदी के तट पर अथवा जगम्मनपुर में अस्थाई घाट स्टोर पर रख लिया गया l साखू सागौन की लकड़ी,जूट के रस्सा, प्लास्टिक व जींस के त्रिपाल जैसा कीमती सामान रखे रखे ही नष्ट होकर अस्तित्वहीन हो गया l गार्डर व एंगल नदी के तट पर मिट्टी में पड़े पड़े जंग खाकर आधे बजन के हो गए , वहीं 16 चक्का ट्रक में एक रखा जाने वाला विशालकाय कैप्सूल नुमा पीपा जिनकी संख्या उपयोग किए जाते समय लगभग 90 थी जो अब घटते घटते 25 से 30 के बीच रह गई है , कुछ पीपा एवं सैकड़ों टन वजन के गाटर एंगल बोल्ट चकर प्लेट यमुना नदी की बाढ़ में बहकर जगम्मनपुर से हमीरपुर तक जगह-जगह जमींदोश हो गए बाकी बचे यही शिवगंज के पास यमुना तट पर मिट्टी में दफन होने की तैयारी में है l पीपों को गार्डर से जोड़े रखने वाले कई कुंतल वजन के लोहे के नट बोल्ट तो लापता हो गए , शेष ढेर सारा सामान पर्याप्त कर्मचारी ना होने व उनका रखरखाव न होने के कारण नष्ट हो गया l जो नष्ट हो गया या चला गया उसका क्या रोना ! महत्वपूर्ण तो यह है कि वर्तमान में भी यहां पेंटून पुल का जो समान बचा पड़ा है उसकी कीमत भी करोड़ों रुपया होगी यह करोड़ों रुपया जनता के द्वारा सरकार को दिया हुआ टैक्स का धन है जिसे लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड जालौन नष्ट करने पर तुला है l उक्त संदर्भ में लोनिवि प्रांतीय खंड जालौन अधिशासी अभियंता अमित कुमार सक्सेना से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन वह अपने कार्यालय में नहीं मिले , मोबाइल नंबर पर संपर्क करने का प्रयास करने पर उन्होंने फोन उठाना उचित न समझकर डिस्कनेक्ट कर किया l अधिशासी अभियंता जैसे जिम्मेदार अधिकारी के इस गैर जुम्मेदाराना व्यवहार से उनका कर्तव्य के प्रति उदासीन होना स्पष्ट प्रतीत होता है l

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