*राकेश कुमार, सम्पादक-सतेन्द्र सिंह राजावत*
रामपुरा,जालौन l बंदरों के हिंसक उपद्रव एवं घातक विधियों के कारण ग्राम चंदावली में दहशत व्याप्त है l ग्राम प्रधान द्वारा वन विभाग को सूचना दिए जाने के बावजूद अधिकारी कर्मचारी गांधी जी के तीन बंदरों की तरह चुपचाप बैठे क्षेत्र में लकड़ी की हो रही अवैध कटान करने वाले ठेकेदारों से अपना नजराना लेने में मशगूल है l
विकासखंड रामपुरा एवं थाना कुठौंद अंतर्गत ग्राम चंदावली कम आबादी का छोटा सा गांव है जिसमें अधिकतम जनसंख्या दो हजार होगी लेकिन दो हजार की जनसंख्या पर यहां मौजूद लगभग 20-25 बंदरों ने अपने आतंक का साम्राज्य कायम किया हुआ है l यह बंदर घरों में रखे हुए महंगे सस्ते सभी प्रकार के सामान की तोड़फोड़ तो कर ही रहे हैं लेकिन सर्वाधिक संकट यह है की इन उपद्रवी बंदरों ने अब तक गांव के लगभग 25 से अधिक बच्चों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया है जिनमें अधिकांश बच्चे वह हैं जो घर से अकेले निकलकर विद्यालय आते हैं l बंदरों के आतंक से अनेक अभिभावकों ने अपने-अपने बच्चों को विद्यालय जाने से रोक दिया है l प्राथमिक विद्यालय चंदावली में बंदरों द्वारा काटकर घायल किए गए हैप्पी पुत्र सोनी उम्र 10 बर्ष, प्रिया पुत्री रामसेवक उम्र 8 वर्ष ,रागनी पुत्री वृजकिशोर उम्र 9 वर्ष , भोले पुत्र राजू 5 वर्ष ,आर्यन पुत्र रामसहाय 5 वर्ष , राधिका उम्र 9 वर्ष , रानी नातिन कल्ले सिंह , राज पुत्र मुन्नेश उम्र 8 वर्ष ,भोले पुत्र छोटे उम्र 9 वर्ष ,आयुष पुत्र वीर सिंह सभी निवासीगण चंदावली ने अपने-अपने जख्म दिखाकर उनके दौड़ कर काट लेने की कहानी व उनसे भयभीत होने की बात बताई l ग्राम प्रधान बालकराम से इस विषय पर बात करने पर उन्होंने बताया कि बंदरों का आतंक बहुत दिनों से है यह घर का सामान तोड़फोड़ कर बहुत नुकसान कर रहे हैं सबसे अधिक संकट यह है कि बंदर बच्चों पर हमला करके उन्हें काटकर जख्मी कर देते हैं , उन्होने बताया कि इस संदर्भ में वन विभाग के अधिकारियों को लिखकर एवं मिलकर समस्या समाधान करने का अनुरोध किया गया लेकिन आज तक इस विषय पर वन विभाग का कोई कर्मचारी भी पूछताछ करने या समस्या का समाधान के लिए चर्चा करने तक नहीं आया l ग्राम प्रधान ने बताया कि एक बार कुछ बंदरों को किसी प्रकार पकड़वाकर दूर छुड़ाया गया था लेकिन यह पुनः वापस आकर उपद्रव करने लगे l इस संपूर्ण प्रकरण में बंदरों का आतंक तो विचारणीय है ही लेकिन वन विभाग के उन अधिकारियों की लापरवाही भी दृष्टिगोचर हो रही है जिनके कर्मचारी क्षेत्रीय आरा मशीनों पर बैठकर गिद्ध की तरह आंख गढ़ाए बैठे रहते हैं कि कही कोई अपने घर के सूखे कटे नीम अथवा सूखी शीशम की लकड़ी की चौखट चारपाई का पाया अथवा घर की जरूरत का कोई सामान बनवाने के लिए लकड़ी चिरवाने के लिए आए तो उसे कानून का भय दिखाकर हलकान कैसे किया जाए जबकि उन्ही कर्मचारियों के सामने प्रतिबंधित हरे पेड़ो की लकड़ी से भरे बड़े-बड़े ट्रक और उनमें बैठे लोग बंद मुट्ठी खोलते हुए धड़ल्ले से मुस्कुराते हुए निकल जाते हैं उसी फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को ग्राम चंदावली में बंदरों के आतंक से त्राहि-त्राहि कर रहे ग्रामीणों की चीख नहीं सुनाई दे रही है l