राकेश कुमार, सम्पादक-सतेन्द्र सिंह,
उरई, जालौन। जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय के निर्देश के अनुपालन में सोमवार को सदर उपजिलाधिकारी सुरेश कुमार के नेतृत्व में राठ रोड उरई पर भूमिगत जल ट्यूवैल के पानी से मोरंग धुलने वाले ट्यूवैलों एवं ओवरलोड वाहनों के विरुद्ध कार्यवाही की गयी तथा जो ट्यूवैल मोरंग की धुलाई में संलिप्त पाये गये ऐसे 03 ट्यूवैलों के कनेक्शन काटे गये एवं धुलाई करने वाले यंत्रों (04 पम्पिंग मशीन) को प्रशासन द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया। साथ ही 13 वाहनों के विरुद्ध चालान/निरुद्ध की कार्यवाही करते हुये उन्हें थाना डकोर में खड़ा कराया गया।
उक्त कार्यवाही सुरेश कुमार, उपजिलाधिकारी, सदर के नेतृत्व में की गयी जिसमें राजेश कुमार, सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) प्रथम दल, जे0के0 दत्ता, जिला खनिज अधिकारी, आनन्द कुमार, खनिज इन्स्पेक्टर, पी0डब्ल्यू0डी0 से सतेन्द्र कुमार गंगवार (जे0ई0) व बिजली विभाग के कर्मचारी मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि भारत के पठारी भाग हमेशा से भूजल के मामले में कमजोर रहे हैं। बुन्देलखण्ड के सभी जनपद जिसमें जनपद जालौन भी सम्मिलित है, में भूजल की समस्या बनी रहती है। भारत मंे जलभरों और भूजल की स्थिति पर चिंता जाहिर की जा रही है, जिस तरह भारत के भूजल का दोहन हो रहा है भविष्य में स्थितियाँ काफी खतरनाक हो सकतीं हैंे। वर्तमान समय में 29 प्रतिशत विकास खण्ड या तो भूजल के दयनीय स्तर पर हैं या चिंतनीय हैं और कुछ आँकड़ों के अनुसार 2025 तक लगभग 60 प्रतिशत ब्लाक चिंतनीय स्थिति में आ जायेंगे। ज्ञातव्य है कि भारत में 60 प्रतिशत सिंचाई हेतु जल और लगभग 85 प्रतिशत पेय जल का स्रोत भूजल ही है, ऐसे में भूजल का तेजी से गिरता स्तर एक बहुत बड़ी चुनौती के रुप में उभर रहा है। उक्त परिस्थतियों के दृष्टिगत यदि भूजल से मोरंग की धुलाई की जायेगी तो जनपद जालौन की स्थिति और भी खतरनाक हो जायेगी। उक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये जिलाधिकारी द्वारा सम्बन्धित को भूजल में हो रही गिराबट को रोकने के लिये विभिन्न उपाय अपनाने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही मोरंग और वाहन धोने इत्यादि जैसे अनावश्यक कार्यों में भूजल को बर्बाद करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं, जिसके तहत उक्त कार्यवाही की गयी है।