*!!.कांग्रेस का गढ़ कैसे बना भाजपा का किला: भिंड दतिया लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की संध्या राय को टक्कर देंगे कांग्रेस के फूल सिंह बरैया.!!*

Mar 30, 2024 - 11:43
Mar 31, 2024 - 08:16
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*!!.कांग्रेस का गढ़ कैसे बना भाजपा का किला: भिंड दतिया लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की संध्या राय को टक्कर देंगे कांग्रेस के फूल सिंह बरैया.!!*

भोपाल राजधानी लोकसभा चुनावों में पिछले 35 साल कांग्रेस भिंड दतिया लोकसभा क्षेत्र में हार का सामना कर रही है हालांकि, पार्टी ने इस बार फिर से प्रत्याशी बदलकर जीत का प्लान बनाया है। कांग्रेस ने यहां से अपने चर्चित नेता फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद संध्या राय पर ही भरोसा जताया है और जीतने का दम भर रही है। कांग्रेस का गढ़ कहलाने वाली सीट बीजेपी का किला बन गई। *कांग्रेस का गढ़ बना बीजेपी का किला* 1952 से लेकर 1984 तक लगातार कांग्रेस इस सीट पर जीतती रही है. केवल एक बार 1971 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ से चुनाव जीता। 1989 में कांग्रेस के कद्दावर नेता नरसिंहराव दीक्षित ने बीजेपी ज्वाइन कर ली और कांग्रेस का गढ़ टूट गया। नरसिंहराव ने कांग्रेस की अजेय सीट को भाजपा का किला बना दिया. तब से लगातार 35 वर्षों में 9 लोकसभा चुनावों में भाजपा यहां से जीत रही है। एक बार फिर 2024 में संध्या राय पर भरोसा जताते हुए चुनावी समर में उतारा है। वहीं कांग्रेस में भिंड दतिया से भांडेर से विधायक फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है। *प्रत्याशियों के अपने दावे* फूल सिंह बरैया ने बातचीत करते हुए भिंड दतिया लोकसभा सीट से जीत को सुनिश्चित बताया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के जीत का फार्मूला बता दिया और दावा किया की सत्ता में एक बार फिर कांग्रेस वापसी करेगी। वहीं संध्या राय अपने काम को लेकर दावा कर रही हैं की वो जीतकर आएंगी। *अबतक का चुनावी इतिहास* 1952 में कांग्रेस के सूरज प्रसाद सांसद बने। 1962 में एक बार फिर सूरज प्रसाद को विजय हासिल हुई। 1967 में जसवंत सिंह कुशवाह कांग्रेस से सांसद चुने गए। 1971 में राजमाता विजयराजे सिंधिया जनसंघ से सांसद चुनी गई। 1977 में रघुवीर सिंह राजा मछंद चुनाव में कांग्रेस से विजई हुए। 1980 में पंडित कालीचरण शर्मा कांग्रेस से फिर सांसद चुने गए। 1984 में दतिया महाराज कृष्ण पाल सिंह जूदेव कांग्रेस से विजय हुए। 1989 में कांग्रेस और भाजपा में शामिल हुए नरसिंहाराव दीक्षित ने भारतीय जनता पार्टी का भिंड में खाता खोल दिया। 1989 में योगानंद सरस्वती में भारतीय जनता पार्टी से विजय हासिल की। 1991 से लेकर 2006 तक लगातार चार बार रामलखन सिंह कुशवाहा भिंड दतिया लोकसभा से सांसद रहे। 2009 में हुए परिसीमन में भिंड दतिया लोकसभा सीट एससी के लिए आरक्षित हो गई और मुरैना से बुला कर अशोक अर्गल को बीजेपी ने टिकट दिया, वो भी जीत गए। 2014 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए भागीरथ प्रसाद सिंह को जीत हासिल हुई। 2019 में बीजेपी ने संध्या राय को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। *जातीय समीकरण* भिंड के जातीय समीकरण की बात करें तो इस संसदीय क्षेत्र में करीब 3 लाख क्षत्रिय, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, डेढ़ लाख वैश्य के साथ ही दलितों करीब तीन लाख हैं। वहीं आदिवासी, अल्पसंख्यक और अन्य के वोटों का आंकड़ा करीब चार लाख अस्सी हजार के आसपास है। इसी तरह धाकड़, किरार, गुर्जर, कुशवाह, रावत,राठौर, समाज का वोट भी ढाई लाख के करीब है। इलाके में ब्राह्मण, क्षत्रिय और दलितों ही मुख्य वोटर हैं। *विधानसभा सीटों की स्थिती है* अटेर हेमंत कटारे कांग्रेस, भिंड नरेंद्र सिंह कुशवाह बीजेपी, लहार अंबरीश शर्मा बीजेपी, मेहगांव राकेश शुक्ला बीजेपी, गोहद (एससी) केशव देसाई कांग्रेस, सेवड़ा प्रदीप अग्रवाल बीजेपी, भांडेर (एससी) फूलसिंह बरैया कांग्रेस, दतिया राजेंद्र भारती कांग्रेस *कांग्रेस को इस गणित से आशा* लोकसभा चुनाव में कांग्रेस काफी आशा में है क्योंकि, भिंड की पांच और दतिया की तीन विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा से लगभग 6000 वोटों से आगे थी। विधानसभा जैसा ही प्रदर्शन अगर कांग्रेस लोकसभा में करती है तो जीत की संभावना बढ़ जाती है।

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