क्या उरई चेयरमैन भाजपा की शरण मे जाने को होगें मजबूर
नगर पालिका उरई नगर के विकास कार्यों में क्यों पिछड़ा
नगर पालिका उरई पर भाजपा के दबाव की कहावतों में कितनी सच्चाई
सत्येन्द्र सिंह राजावत
उरई (जालौन)। जनपद में हुए नगर पालिका चुनाव में उरई नगर पालिका पर भाजपा अपना कब्जा नही कर पाई थी। क्योंकि नगर की जनता ने एक ऐसे कैंडिडेट को चुना था जो कि नगर में विकास कार्य करवा सके क्योकि पहले भी इस कैंडिडेट ने नगर में बहुत से विकास कार्य करवाये थे जिन कार्यों की चर्चाओं के चलते उसको विजय मिली । जबकि हकीकत तो यह है कि नगर की जनता ने किसी पार्टी को नही बल्कि एक चहरे पर अपना विश्वास जताया था । जिसकी चर्चाओं की सरगर्मियों से उसको विजय भी मिल गई । लेकिन उसी तरह चर्चाओं की सरगर्मियां आज भी तेज जहाँ लोग नगर में विकास ना होने को लेकर परेशान है । क्योंकि लोगो के मुताबिक नगर पालिका द्वारा अभी तक बहुत से कार्य हो जाने चाहिए थे । लेकिन नगर पालिका की उदासीनता के चलते लोगो को लगने लगा कि नगर में नगर पालिका बन्द हो गई है । क्योंकि नगर में सिर्फ सभासद ही कार्य करवाते दिख रहे हैं। जबकि पालिका अध्यक्ष के नाम पर सन्नाटा छाया हुआ है । वहीं सूत्रों की माने तो नगर पालिका में कार्य करवाने के लिए जरूरी सामान ही उपलब्ध नही है जो पहले से पालिका में उपलब्ध है उसी से पालिका को नगर में कार्य करवाने पड रहे है। जबकि चुनावी वादे पालिका अध्यक्ष पूरे नही कर पा रही इसका कारण विपक्षी पार्टी से चुनाव जीतना हो सकता है । जिस कारण से पालिका को पर्याप्त बजट तक उपलब्ध नही हो पा रहा । इसलिए नगर के कानों में जो बातें गूंज रहीं थी उनकी चर्चाएं जोरो पर होने लगी है । कि पालिका अध्यक्ष अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिय भाजपा का दामन थाम सकते है। और वहीं सूत्रों का कहना यह भी है कि जिसको लेकर चैयरमेन की गाड़ियों को कई बार लखनऊ जाना पड़ा । लेकिन जिस पार्टी ने इनको टिकट दिया उसकी नाराजगी से बचने के लिए अभी भी कई तरह के प्रपोजल चेयरमैन द्वारा पेश किए जा रहे है । अगर सारे प्रपोजल फेल होते है तो नगर पालिका पर भाजपा का झण्डा लहता हुआ देखने को जल्द ही मिल जाएगा।
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