राकेश कुमार, सम्पादक-सतेन्द्र सिंह राजावत,
कालपी(जालौन) l
स्वच्छ भारत मिशन कहने सुनने में अच्छा लगता है भारत सरकार ने इस सपने को साकार करने के लिए अरबों खरबों रूपया खर्च कर दिया शहर से लेकर कस्बों और गांवों तक सामुदायिक शौचालय बनाने के लिये स्थानीय पंचायतों को जिम्मेदारी देकर भारी भरकम बजट आवंटित कर दिया पर हकीकत क्या है इसका एक उदाहरण आज आपके सामने रखते हैं !
कस्बा कालपी में पालिका के पिछले कार्यकाल में दो शौचालयों की स्थिति पहला नगर छोर पर मुहल्ला राजघाट में चौकी मन्दिर के सामने दूसरा दूसरे छोर पर मुहल्ला उदनपुरा (निकासा) में इन दोनों दस सीटर शौचालयों का पहला स्थान का चयन गलत दूसरा घटिया निर्माण तीसरा कोई रखरखाव के लिए चौकीदार य किसी तरह के कर्मचारी की नियुक्ति न होना ! आपको बताते चलें निर्माण तिथि से आज तक एक भी व्यक्ति इनका इस्तेमाल करने नहीं गया ! भारी कमीशनखोरी के चलते निर्माण इतना घटिया हुआ है कि अपने आप इसके पलस्टर फर्स उखड़ गये दीवारें चटक गईं ! कोई कर्मचारी य चौकीदार न होने के चलते खिड़की दरवाजे नल टोंटी सब कुछ चोरों का निशाना बन गये !
उदनपुरा में बना शौचालय अय्याशी का अड्डा बन गया यहां जुआड़ी नशेड़ी अपना अधिपत्य जमाए हैं वहीं दो प्रेमियों का आत्मिक मिलन भी यहां अक्सर होते देखा जा सकता है !
आखिर इतनी बड़ी रकम को इस तरह बरबाद करने में दोषी कौन है और अगर कोई है तो उसको सजा क्यों नहींं मिलनी चाहिए! शासन प्रशासन में बैठे जिम्मेदार यदि मात्र इन दो शौचालमयों का सही से सर्वे करा लें ईमानदारी से जांच कर लें तो पता चल जायेगा की सरकार के लाखों रुपए किस तरह से बंदरबांट कर बरबाद किए गये हैं ! यह तो आपके संज्ञान के लिए उदाहरण स्वरूप बताए हैं कमोवेश ऐसे हालात ग्रामीण क्षैत्रों में भी देखे जा सकते हैं ! विषय जांच का है अगर नहीं होती तो इसी तरह देश की जनता की गाढ़ी कमाई जो सरकार को विभिन्न टैक्सों के माध्यम से मिलती है इसी तरह चेयरमैंन नगर पंचायत अध्यक्ष प्रधान सचिव आदि जैसे जिम्मेदार लूटते थे और लूटते रहेंगे !