वीरांगना महारानी अहिल्याबाई होलकर जी की 299 वी जयंती धूम धाम से मनाई गई

Jun 1, 2024 - 19:01
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वीरांगना महारानी अहिल्याबाई होलकर जी की 299 वी जयंती धूम धाम से मनाई गई
राकेश कुमार, संपादक-सतेंद्र सिंह राजावत, रामपुराl जालौन।   रामपुरा कस्बा के एस डी गार्डन में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर यूथ बिग्रेड भारत समिति के तत्वा धान अहिल्याबाई होलकर जयंती कार्य क्रम का अयोजन एस डी गार्डन मे महेश पतराही की अध्यक्षता मे अयोजित किया गया कार्य क्रम की अध्यक्ष्ता महेश सिंह पतराही ने की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामपुरा ब्लॉक अजीत सिंह सेंगर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आशू निरंजन माधौगढ़ विधायक पुत्र, कार्य क्रम मे लोकमता अहिल्याबाई होलकर जयंती धूम धाम से मनाई गई कार्य क्रम मे मुख्य अतिथि ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह सेंगर ने अहिल्या बाई होलकर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर जयंती का शुभारम्भ किया तो वही विधायक पुत्र अशीष उर्फ आशू निरंजन ने अपने विचार प्रकट किए , इसके बाद रामपुरा ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह ने गोष्ठी के दौरान लोक माता अहिल्या बाई होलकर जी के बारे में विस्तार से जानकारी दी कि अहिल्या बाई किसी राजघराने से संबंध नहीं रखती थीं लेकिन एक दिन उनके हाथों में राज्य की सत्ता आ गई। एक साधारण से परिवार की लड़की असाधारण दायित्वों का निर्वहन करने लगी। 31 मई को महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती मनाई जाती है। 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में चांऊडी गांव में अहिल्या का जन्म हुआ था। वह अपने गांव के सम्मानित मान्कोजी शिंदे की सुपुत्री थीं। वह किसी राजघराने से संबंध नहीं रखती थीं लेकिन एक दिन उनके हाथों में राज्य की सत्ता आ गई। एक साधारण से परिवार की लड़की असाधारण दायित्वों का निर्वहन करने लगी। ये दौर औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल के पतन का था, जब मराठा अपने साम्राज्य का विस्तार करने में जुटे हुए थे। मराठा सेनापतियों में से एक मल्हार राव होलकर थे। पेशवा बाजीरान ने मल्हार राव होल्कर को मालवा की जागीर सौंपी। होल्कर ने अपने बाहुबल से राज्य की स्थापना करते हुए यहां इंदौर बसाया। मल्हार राव होलकर के इकलौते बेटे खंडेराव के लिए वह ऐसी पत्नी चाहते थे जो गुणी हो और राजपाट संभालने में बेटे की मदद कर सके। इस दौरान उनकी मुलाकात अहिल्या से हुई। वह एक यात्रा के बाद चांऊडी गांव से गुजर रहे थे तभी शाम की आरती के वक्त एक बच्ची के भजन ने उनका ध्यान खींचा। वह अहिल्या के गुणों और संस्कारों से इतना प्रभावित हुए कि अपने पुत्र खंडेराव होलकर का विवाह अहिल्या के साथ करा दिया। शादी के बाद खंडेराव सत्ता संभालने लगे। इस दौरान अचानक हुए एक युद्ध में खंडेराव होलकर वीरगति को प्राप्त हो गए। वह तो सती प्रथा को अपनाते हुए पति संग अपने प्राण त्याग देना चाहती थीं। लेकिन मल्हार राव होलकर को अहिल्या की काबिलियत पर भरोसा था कि वह उनके बेटे का कार्यभार संभाल सकती है। उन्होंने अहिल्या को अपने पुत्र की तरह पाला खीच दिया और अहिल्या ने अपने पति की तरह  राज्य के कामकाज में मल्हार राव का हाथ बंटाने लगीं। हालांकि उनका जीवन बहुत संघर्ष पूर्ण था। पहले ससुर और फिर 22 वर्ष की आयु में बेटे मल्लेराव को खो दिया। बेटे के साथ राज्य का पतन न हो जाए इसलिए राजकाज को खुद ही संभालने लगीं। हालांकि कोई पुरुष राजा न होने के कारण राज्य के एक कर्मचारी ने दूसरे राज्य के राजा राघोबा को पत्र लिखकर होल्कर पर कब्जा करने का न्योता दे दिया। राजगद्दी संभालते हुए महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने आसपास के राज्यों में यह सूचना पहुंचा दी। उनके सेनापति और पेशवा बाजीराव ने उनकी सहायता की। अहिल्याबाई ने राज्य को मजबूत करने के लिए अपने नेतृत्व में महिला सेना की स्थापना की। अहिल्याबाई ने स्त्रियों को उनका उचित स्थान दिया। अहिल्या ने लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई को विस्तार देने का प्रयास किया। दीन-दुखियों की मदद के लिए कार्य किए। 1795 में जब उनका निधन हुआ तो उनके सेनापति तुकोजी ने इंदौर की गद्दी संभाली। बबलू प्रधान डिकोली, देवेन्द्र सिंह पतराही पूर्व प्रधान, महेश सिंह, विकास सिंह निनावली प्रधान प्रज्ञा दीप प्रधान जगम्मन पुर, सौरभ सिंह प्रधान जायगा, सहित दो सैकडा झेत्रीय ग्रामीण व प्रधान मौजूद रहें """"

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