20 मई को पड़ने वाले वोट को पाले में लाने की कवायद का नहीं उभर पा रहा है स्वरूप

May 20, 2024 - 06:07
 0  51
20 मई को पड़ने वाले वोट को पाले में लाने की कवायद का नहीं उभर पा रहा है स्वरूप
नीतेश कुमार संवाददाता राकेश कुमार, माधौगढ । लोकसभा क्षेत्र जालौन की सरजमीं का यह शायद पहला चुनाव है। जब संसदीय सीट का मतदान किसके पक्ष में कौन करेगा। यह तस्वीर चुनाव प्रचार के समाप्ति वाले दिन तक साफ नहीं हो सकी है। हाल यह है कि भाग्यविधाता खामोश है तो उम्मीदवार बाहोश। यह स्थिति राजनैतिक पार्टियों के लिए बेहद चैंकाने वाली है क्योंकि जनसभा से लेकर जनसंपर्क तक में उन्हें जो साथ मिल रहा है। उस पर यकीन कैसे कर लिया जाए। यही बात चिंता का स्वरूप बनकर उम्मीदवार और उनके समर्थकों को खाए जा रही है। इसकी भी अपनी वजह है, क्योंकि दलीय चर्चा में काफी झोल नजर आ रहा है। अभी तक पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन किसके साथ खड़ा है और कौन नहीं। 20 मई को देश की सबसे बड़ी संसद की सियासत की लिखी जाने वाली इबारत में किस नाम को तवज्जो मिलेगा। यह भविष्य के गर्त में छिपा है। राजनीति के जानकार खुद मानकर चल रहे हैं कि पहले कभी ऐसा नहीं दिखाई दिया है जो इस बार देखने को मिल रहा है। चूंकि इस सीट के जातीय समीकरण हरेक चुनाव में हावी होते रहे हैं। ऐसे में चुनाव से पहले तक काफी हद तक चुनाव का रुख पता चल जाता था। इस बार जिस तरह से मतदाता, चुप्पी साधे नजर आ रहा है। उससे ऊंट किस करवट बैठेगा। जीत का ताज किसके गले में होगा। यह सब पता नहीं चल पा रहा है। जबकि इससे पहले के चुनावों में ऐसा कभी नहीं दिखाई दिया। चुनाव के आखिर समय तक चुनाव की पिक्चर क्लीयर हो जाती रही है क्योंकि दलीय और जातीय समीकरण इस दौरान उभर कर सामने आते रहे हैं। जहां तक बात इस चुनाव की है तो ऐसे कोई संकेत नहीं मिल पा रहे हैं कि मतदाता, किसे अपना समर्थन देने जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यह हालात इसलिए वने हैं क्योंकि इस चुनाव में जातीय लामबंदी पर सीधा असर देखने को मिल पा रहा है। लोग पार्टी और उम्मीदवार की बात तो कर रहे है लेकिन जातीय आधार पर इस पर अभी बहुत कुछ साफ होना बाकी है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow