सर्वोदय इण्टर कालेज में निवास करने वाले अध्यापक का सच क्या
क्या डी एल एड के पेपर में अध्यापक करवा सकता झोल झाल
सत्येन्द्र सिंह राजावत
उरई(जालौन)। शिक्षा एक ऐसा वरदान है । जिससे लोगों को ज्ञान तो मिलता ही है उसके अलावा शिक्षित होने पर लोगों को अपने अधिकारों का भी ज्ञान हो जाता है। इसलिए सरकार शिक्षा को बहतर बनाने के लिए कई प्रयास कर रही है । और शिक्षा विभाग में कोई लापरवाही होती है तो सरकार लापरवाही करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करती है। लेकिन अगर किसी कॉलेज की लापरवाही जनपद से बाहर ही ना जा पाए तो सरकार क्या कर पायेगी । क्योंकि अपना ईमान बेचने बाले अधिकारी इन भृष्ट लोगों की ढाल बन जाते है । और अगर कोई किसी स्कूल कॉलेज की शिकायत करता है तो उस शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार पर रोक तो लगाई नही जाती । शिकायत करने वाले को ही दबाव देकर शान्त कराने का काम किया जाता है । क्योंकि सूत्रों की माने तो सालो से जनपद के सर्वोदय इण्टर कालेज के कई मामले सामने आए है जिनमे से बड़ा मामला ये है कि एक सहायक अध्यापक स्कूल में ही निवास कर रहा है जो कि नियमानुसार गलत है और इसकी जानकारी अधिकारियों तक है क्योंकि इसकी शिकायत भी की जा चुकी है । और अगर कोई जाँच करवाने जाता है तो वो अध्यापक कमरे में ताला डाल कर फैमली सहित शॉपिंग करने चला जाता है । और स्कूल मैनेजमेंट द्वारा आरोपों को निराधार बता दिया जाता है। लेकिन हद तो तब हो गई जब स्कूल में डी एल एड का पेपर होना वाला था और वही अध्यापक स्कूल में निवास कर रहा है। जब इसकी शिकायत पर स्कूल के प्रिंसिपल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह अब स्कूल मे नही रहेगा इससे यह साफ हो गया कि पेपर के लगभग 10 घंटे पहले तक वो अध्यापक वहीं रह रहा था । जबकि किसी भी पेपर के 24 घंटे पहले से ही सभी का प्रवेश वर्जित हो जाता है। और पेपर करवाने वाला मैनेजमेंट ही प्रवेश कर पाता है। लेकिन जब डी आई ओ एस को इसकी जानकारी दी गई तो उनके पास इतना सन्नाटा छा गया कि मानो किसी ने उनकी कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिया है । जबकि इस मामले की जो शिकायतें पहले की गई थी उसकी जानकारी उनको पहले से ही थी लेकिन जब उनको पेपर होने से पहले इसकी जानकारी दी तो सूत्रों से पता चला कि वह सहायक अध्यापक अपने परिवार समेत स्कूल के पीछे वाले गेट से अपनी लगोंट पकड़े हुए चोरों की तरह भगता दिखा। जब सूत्रों से जानकारी की तो वह अपने रिश्तेदार के यहाँ पहुच गया लेकिन ब्रह्ममहूर्त में पूरा परिवार स्कूल में पहुचा और तैयार होकर फिर पीछे वाले गेट से निकल गया क्योंकि उसका समान तो स्कूल में ही रह गया था। लेकिन गम्भीर विषय तो तब आया जब सूत्रों से पता चला कि पेपर में भाग लेने वाले कुछ परीक्षार्थियों के पेन में उत्तर देने वाली स्याही भरने की जिम्मेदारी स्कूल में रहने वाले सहायक अध्यापक ने ले रक्खी है । क्योकि पेपर करवाने की जिम्मेदारी यही महासाय ने संभाल रक्खी है क्योंकि ये स्कूल के प्रधानचार्य के खासमखास बताये जाते है । लेकिन ये तो जाँच के बाद ही साफ हो पायेगा की इस अध्यापक ने कितनी स्याही पेनों में भरी है। लेकिन स्कूल में निवास करना ही ये दर्शाता है कि पेपर में चूक होने की गुंजाइश हो सकती है।
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