जालौन। उरई मार्ग पर स्थित श्रीवीर बालाजी हनुमान मंदिर में चल रहे 35 दिवसीय धार्मिक आयोजन 17वें व श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित ब्रजमोहन दीक्षित ने अपने मुखारबिंद से राम कथा का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का नाम जपने से एवं सत्संग करने से जो लाभ मिलता है, उसके आनंद की कहीं तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की भूमि में मनुष्य का जन्म लेने वाले बड़े सौभाग्यशाली है।
श्रीराम कथा के तीसरे दिन मथुरा से पंडित ब्रजमोहन दीक्षित ने कहा कि भगवान की कृपा से ही आपका शरीर स्वस्थ्य रह सकता है। इसलिए जीवन में भगवान का नाम जपना बहुत आवश्यक है, क्योंकि मनुष्य का जन्म लेने के बाद भी अगर आप भगवान का नाम नहीं लेते हैं, तो आपका जीवन पशु से भी बदतर है। आज के जीवन में श्रीराम कथा और भागवत कथा का श्रवण अत्यंत आवश्यक है। हरि नाम का जितना स्मरण हो जाए, उतना अच्छा है। अंत समय में भी राम का नाम लिया जाता है, इसलिए जीते जी जितना अधिक हो सके राम का नाम भजना चाहिए। भगवान श्रीराम की बाललीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम का जन्म अवध नरेश राजा दशरथ के यहां हुआ। श्रीराम के सभी अंग अत्यंत सुडौल और सुंदर थे। उनको देखते ही मन लुभा जाता था। राजा दशरथ और रानी कौशल्या के प्रेम में वशीभूत होकर श्रीराम पवित्र बाल लीला करते थे। कथा के क्रम में उन्होंने कहा कि एक बार माता कौशल्या ने श्रीराम को स्नान और श्रृंगार कराकर झूला पर सुला दिया और स्वयं स्नान कर अपने कुलदेव की पूजा कर नैवेद्य भोग लगाकर पाक गृह गई। जब वह पुनः लौटकर पूजा स्थल पर आई तो देखा कि देवता को चढ़ाए गए नैवेद्य शिशुरूपी भगवान राम भोजन कर रहे हैं। जब उन्होंने झूला पर जाकर देखा तो वहां भी उन्होंने श्रीराम को झूले पर सोते पाया। माता की अवस्था देख श्रीराम ने माता को अपना अद्भुत रूप दिखाया। भगवान का विराट रूप देखकर कौशल्या माता प्रफुल्लित हो गई और आंखें मूंदकर भगवान के चरणों पर गिर पड़ी। इस मौके पर मंदिर के पुजारी कमलेश महाराज, नैपाल सिंह, देवेंद्र प्रजापति, रामजीवन सिंह, राजाबाबू, संतोष सिंह, कृष्णा बाबू, सुधा देवी, रामकुमारी, श्वेता, सपना, पप्पी, अंजली आदि मौजूद रहे।