नीतेश कुमार संवाददाता राकेश कुमार,
*जालौन* ।मातृभूमि के लिए जीवन त्यागने वाले महान सपूत महाराणा की 490 वी जयंती महाराण प्रताप साइंस एकेडमी इंटर कालेज में धूम धाम से मनायी गयी। बच्चों ने कार्यक्रम प्रस्तुत कर उनके जीवनगाथा को चित्रण किया तो अध्यापकों ने उनके गौरवशाली इतिहास बताकर बच्चों से उनके बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
स्कूल के प्रबंधक मंगल सिंह चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप, मेवाड़ के 13वें राजपूत राजा थे। उनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत परिवार में आज ही के दिन, 09 मई 1540 को हुआ था। राजस्थान के कुंभलगढ़ में जन्में महाराणा प्रताप, महाराणा उदयसिंह और महारानी जयवंती की संतान थे। महाराणा प्रताप को जितना उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता है, उतनी ही उनकी दरियादिली और प्रजाv व राज्य से उनका प्रेम जगजाहिर है। हल्दी घाटी में मुगल शासक अकबर के खिलाफ लड़ा गया उनका युद्ध इतिहास के सबसे चर्चित युद्ध में से है। इस युद्ध में अपनी छोटी सी सेना के साथ, उन्होंने मुगलों की विशाल सेना को नाकों चने चबवा दिए। जंगल में रहकर घास की रोटी खाने का महाराणा प्रताप का किस्सा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। प्रधानाचार्य रघुवीर सिंह राजावत ने कहा कि अपने शौर्य, पराक्रम और बहादुरी के लिए पहचाने जाने वाले अमर बलिदानी राजा महाराणा प्रताप की आज जयंती है। मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप एक ऐसा नाम है, जिनकी कहानियों से इतिहास के पन्ने भरे हुए हैं। उन पर बहुत सी फिल्में बनीं, शोध हुए और कई भाषाओं में किताबें भी लिखी गईं। बावजूद आज भी लोग महाराणा प्रताप के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। आज भी देशवासी महाराणा प्रताप का नाम गर्व से लेते हैं और उनका नाम लेते ही रगों में देशभक्ति और बहादुरी अपने आप दौड़ पड़ती है। महाराणा प्रताप की 490 जयंती पर स्कूली बच्चों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिनके माध्यम से उनके जीवन संघर्ष को दिखाया गया है। इस मौके पर हरिओम प्रजापति, कमल कुमार निरंजन, जहीर अली, रंजीत सिंह राजावत, चंद्र भूषण दुबे, सुनील पाठक, अनुपमा, निधि, साक्षी, संगीता, धीरज, अमन, जितेन आदि लोग उपस्थित रहे।