श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता से मित्रता की मिलती है सीख- भगवताचार्य

Feb 13, 2024 - 23:12
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श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता से मित्रता की मिलती है सीख- भगवताचार्य
राकेश कुमार माधौगढ नगर पंचायत के नवीन गल्ला मंडी के परिसर में पांडरी वाले बाबा की असीम अनुकम्पा से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन मंगलवार को कथा व्यास ने भगवान श्री कृष्ण की मथुरा की लीलाओं का सजीव दिग्दर्शन कराया वहीं सुदामा चरित्र का चित्रण भक्तों के बीच किया । उन्होंने बताया कि श्रीदामा के बारे बार कहने वह भगवान कृष्ण के पास द्वारिका गये वहां पर भगवान कृष्ण ने अपने बाल सखा को देखते ही दौड पड़े वह अपने मित्र के लिए इतने रोए कि उन्होंने अपने आंसुओं से सुदामा के चरणों को धोया। वहीं उनकी ही सेवा की ।अंत में भगवताचार्य विष्णु स्वामी महाराज ने पारीक्षत बाबूराम शिवहरे गनेशी देवी मोदन की भी कथा सुनाई।इसके पहले दिवसों में भगवान कृष्ण के जन्म एवं लीलाओं की कथा सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा ही परम सत्य है। जब हमारी वृत्ति परमात्मा में लगेगी तो संसार गायब हो जाएगा। प्रश्न यह है कि परमात्मा संसार में घुले-मिले हैं तो संसार का नाश होने पर भी परमात्मा का नाश क्यों नहीं होता।इसका उत्तर यही है कि भगवान संसार से जुड़े भी हैं और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है। और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता। इसी तरह संसार गायब होने पर भी परमात्मा गायब नहीं होते। संसार की कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं है। कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की। इस घटना के पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार तत्व माखन है। उन्होंने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया।प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। कथा व्यास ने बताया कि वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया। इस अवसर परीक्षित बाबूराम शिवहरे गनेशी देवी, मुन्ना शिवहरे अनिल कुमार शिवहरे मनोज शिवहरे राजेश शिवहरे संतोष शिवहरे राहुल अंकित मनोज मिश्रा,गोरे गुप्ता आदित्य शिवहरे अनुराग शिवहरे बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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