से लेख पूरा पढेंगे तभी समझ आयेगा.......
सांसद जनता का एक ऐसा प्रतिनिधि है जो क्षेत्र की किसी भी समस्या को सीधे देश की संसद यानी देश के प्रधानमंत्री के सामने रख सकता है और पैरवी करके बड़े से बड़े काम को करा सकता है,पर अफसोस कि जालौन जनपद में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है क्यों?
आज क्षेत्र में बेरोजगारी चरम पर है क्योंकि हमारे यहाँ कोई भी बड़ी फैक्ट्री (उद्योग) नहीं है जो थे भी वह संसाधनों के अभाव में पलायन कर चुके हैं और क्षेत्र का युवा दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं.अब बात सिर्फ़ भाजपा प्रत्याशी की इसलिए की है क्योंकि जालौन-भोगनीपुर-गरौठा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा मजबूत स्थिति में सदैव ही रही है और अधिकांशतः यहां से भाजपा का ही सांसद चुना गया है पिछले 25 सालों का रिकॉर्ड यदि देखें तो इक्का दुक्का बार बसपा या सपा को सफलता जरूर मिली है लेकिन आज की स्थिति में सपा हो या बसपा या कांग्रेस क्षेत्र में किसी भी पार्टी का संगठन इतना मजबूत नहीं है जो अकेले अपने दम पर सांसद बना पाये....
वर्तमान सांसद महोदय को जनता ने 5 बार भाजपा के टिकट पर स्नेह प्रदान कर उनकी ईमानदार छवि के चलते उन्हें सांसद बनाया ... अभी तक वे अनुमानित लगभग 25 वर्ष के कार्यकाल में सिर्फ़ नाली, खडंजा, ट्रांसफार्मर, हैंडपंप तक ही सीमित रहे यहां तक कि वे अपनी सांसद निधि को भी पूरी तरह से विकास कार्यों में खर्च नहीं कर पाये और उनपर ये आरोप हमेशा से लगते रहे कि वे सरकार को अपनी सांसद निधि जो क्षेत्र के विकास के लिए प्रत्येक सांसद को दी जाती है उसे भी बापस करते रहे.....शायद उनके हिसाब से जालौन लोकसभा क्षेत्र अमेरिका की तरह विकसित क्षेत्रों में शुमार है..... जहां से वे आते हैं उनके गृहनगर कोंच की रेलवे लाइन तक को आगे नहीं बढ़वा सके.....रेलवे लाइन छोड़िए कोंच नगर का ही चहुंमुखी विकास नहीं कर पाये......जालौन रेलवे लाइन के लिए कोई प्रयास तक नहीं किया गया..... क्षेत्र मे शिक्षा की बदहाली किसी से छुपी नहीं है आजादी के बाद से अभी तक जनपद में एक इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं है और हमारे सांसद महोदय जो 5 बार जनता द्वारा चुने गये हैं वे ना तो एक इंजीनियरिंग कॉलेज को ला सके या यो कहें कि प्रयास ही नहीं किया गया..... जालौन जनपद में माधौगढ़ के किसानों की रीढ़ एकमात्र शुगर मिल जो कयी वर्षो से बंद पड़ी है उसको पुनर्जीवित करने तक की जहमत नहीं उठाई गई.....जबकि एक सांसद के लिए ये सब बहुत बड़े काम नहीं है पर सांसद जी को तो कुछ करना ही नहीं है ..क्योंकि जब बिना करे जनता सिरमौर बनाए है तो करने कराने की जहमत आखिर उठायें ही क्यों....वे चुनाव जीतने के बाद 4 साल तक राजकाज में व्यस्त रहते हैं या यों कहें राजशाही में जनता से कट जाते हैं और पांचवीं साल चुनावी साल आने के कारण ऐक्टिव दिखाई देने लगते हैं......
अब आप लोग सोचिए कि बदलाव क्यों जरूरी है -
सोचना भी आपको है और बदलाव भी आपको ही करना है.
25 साल किसी भी सांसद के लिए अपने क्षेत्र को विकसित करने के लिए पर्याप्त समय होता है....जबकि आज की स्थिति में वर्तमान सांसद जी केंद्रीय लघु एवं सूक्ष्म उद्यम राज्यमंत्री हैं इसके उपरांत भी एक लघु तो छोड़िए सूक्ष्म उद्योग जनपद या क्षेत्र में स्थापित नहीं हुआ..... यदि आप 5 बार सांसद बनके भी कुछ नहीं कर पाये तो अब आपसे न हो पायेगा........ इसीलिए इसबार बदलाव की बयार है.....जनता भी चाहती है कि इसबार प्रत्याशी में बदलाव किया जाये...और वर्तमान सांसद जी को किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर इनका प्रमोशन कर दिया जाए
और यदि बदलाव करना है तो आवाज उठाओ.
और एक ऐसे व्यक्ति को सांसद बनाएंगे जो जो उस पद के लायक हो और क्षेत्र की समस्याओं को देश संसद और प्रधानमंत्री जी के सामने रख सके. और क्षेत्र को विकास के पथ पर ला सके .......
*अब दूसरा प्रश्न है कि ऐसा कौन सा व्यक्ति है जो जनपद को विकास के पथ पर ला सकता है तो मेरे हिसाब से पूर्व कमिश्नर शंभूदयाल जी*
_*अब प्रश्न उठता है कि आखिर शंभूदयाल ही क्यों ??*_
आपको बता दें एक बसपा से सांसद बन चुके उन्होंने जनपद के लिए क्या किया ....???
दूसरे समाजवादी से सांसद रह चुके उन्होंने जनपद के लिए क्या किया .....??
दोनों ने यदि जनपद के विकास के लिए कुछ किया हो तो बतायें....
अब पहला शब्द आता है ईमानदार - ईमानदार उसे कहा जाता है जो अपने कर्तव्यों का पालन करे, जनता ने आपको सांसद बनाया तो आपका कर्तव्य है जनता कि समस्याओं को सुनना और उनका निराकरण करना न कि जनता से दूरी बनाना- शंभूदयाल जी सभी की बातों को बिना भेदभाव के सुनते है और पूरी कोशिश करते हैं उनका निराकरण कराने के लिए , हमें एसा ही सांसद चाहिए जो हमारी बात को सुनें , ऐसा नहीं जो किसी का फोन ही न उठाए.
ईमानदार उसे कहते हैं - जो सरकारी पैसे को जनता के लिए विकास कार्यो में खर्च करे, अपनी जिम्मेदारी समझे और और क्षेत्र मे विकास कार्य कराए. न कि जनता के विकास के लिए आए पैसों को सरकार को ही बापस करदे.
जो व्यक्ती सरकारी पैसे को सही जगह खर्च करे उसे ईमानदार कहते है, और शंभूदयाल जी योग्य व्यक्ति हैं. क्षेत्र के विकास कार्य के लिए समर्पित है,
जनता के लिए चुने गए व्यक्ति का कर्त्तव्य होता है कि जनता की बात को अधिकारी के समाने रखना, अब निर्भर करता है कि आपका नेता आपकी बात को उच्चाधिकारियों के सामने कैसे रख पाता है. और इस कार्य में शंभूदयाल जी के बारे मे आप खुद सोच सकते है जो व्यक्ति खुद कमिश्नर रहा हो उसके वारे में क्या कहना.
जनप्रतिनिधि का कर्तव्य होता है कि जनता और कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाना - पर आजकल कुछ लोगों की सोच बन गई है कि बस मैं ही और कोई नहीं मेरे बाद मेरा लड़का या लड़की, पर शंभूदयाल जी चाहते है कि कार्यकर्ता आगे बढ़े, कार्यकर्ता को उसका हक मिले.
ईमानदार उसे कहते है जो कार्यकर्ता को उसका हक दिलाए न कि अपने लड़के और लड़की के लिए पैरवी करे.
आज क्षेत्र को और कार्यकर्ताओं को शंभूदयाल जी जैसे ईमानदार व्यक्ति की ही जरूरत है.