मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला: अब चहेते अफसरों को प्रमोट नहीं कर सकेंगे मंत्री

Dec 21, 2023 - 18:21
Dec 21, 2023 - 18:24
 0  69
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला: अब चहेते अफसरों को प्रमोट नहीं कर सकेंगे मंत्री

राकेश कुमार

भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रशासनिक सेवा से जुड़े अफसरों के संबंध में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों को वरिष्ठता सूची में सीनियरिटी देना गैरकानूनी है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के स्थान पर उनसे कनिष्ठ दो पुलिस अधिकारियों को ग्रेडेशन सूची में प्राथमिकता देने के एक मामले की सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को निर्देश दिया है कि ग्रेडेशन लिस्ट 2014 के याचिकाकर्ता पुलिस अधिकारी एआईजी राजेन्द्र कुमार वर्मा को वरिष्ठता प्रदान करें । *शासन के आदेश को किया निरस्त* इसके साथ ही कोर्ट ने शासन के आदेश को भी निरस्त कर दिया । कोर्ट ने साफ कहा है कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भोपाल में तैनात अजय पांडे और उस समय के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जबलपुर डॉ. संजय कुमार अग्रवाल को राजेंद्र कुमार वर्मा से कनिष्ठ क्रम में रखें। कोर्ट ने राजेन्द्र कुमार वर्मा को वरिष्ठता के सभी लाभ भी देने के निर्देश दिए हैं। *25-25 हजार का जुर्माना भी लगाया* हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारी अजय पांडे और डॉ संजय अग्रवाल पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है । दोनों अधिकारियों को जुर्माने की राशि एक माह में जमा कराने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि निर्धारित अवधि में जुर्माने की राशि जमा नहीं कराने पर रजिस्ट्रार जनरल उसकी वसूली की कार्रवाई करेंगे और इसे कोर्ट का अवमानना माना जाएगा। *ये है मामला* दरअसल, गृह सचिव ने 17 नवंबर 2016 को एक आदेश जारी कर राजेन्द्र वर्मा की जगह अजय पांडे और संजय अग्रवाल को वरिष्ठता दे दी थी. याचिकाकर्ता राजेन्द्र वर्मा को 29 सितंबर 1997 को एएसपी का पद मिला था, जबकि डॉ. संजय अग्रवाल और अजय पांडे को यह पद 1998 में मिला था. इसके बाद भी राजेन्द्र वर्मा की वरिष्ठता को दरकिनार कर दोनों जूनियर अफसरों को वरिष्ठता सूची में वरीयता दे दी गई थी, जिसे राजेन्द्र वर्मा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। *नजीर बन जाएगा ये फैसला* जज इस फैसले को एक मामले तक नहीं देखा जा सकता है । दरअसल, कोर्ट के पुराने फैसले को आगे के मामले में नजीर के तौर पर पेश किया जाता है, ऐसे में आगे भी किसी मंत्रालय के लिए अपने चहेते जूनियर अफसर को वरिष्ठ बनाना आसान नहीं होगा। अब इस फैसले के आधार पर आगे के ऐसे फैसलों को चुनौती दी जा सकेगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Rakesh kumar Rakesh kumar