भगवान शिव विश्वास तो माता पार्वती श्रद्धा की है प्रतीक - त्यागी महाराज
माधौगढ़ (जालौन) l भगवान भोले नाथ बडे ही भोले हैं । जिस भी भक्त ने उनकी पूजा अर्चरना की उसे मनोवांछित वरदान मिला है। भगवान भोलेनाथ बडी ही दया के खान है। जिस भी भक्त ने ऊं नमनमः शिवाय का जाप किया उसके मनोरथ हर हाल में पूर्ण हुए है। यह बात शिव महापुराण के चौथे दिन सरस कथा वाचक हृदय सम्राट श्री श्री 108 रामचंद्र दास त्यागी ने भक्तों के समक्ष परोसी जिसका रसपान भक्तों ने बडे ही चाव से किया । आगे भक्तों को शिव महापुराण में सती की कथा सुनाई तो भक्त भावविभोर हो गये । कथा वाचक पूज्य महाराज जी श्री श्री 108 श्री रामचन्द्र दास जी ने अपने सरस और मृदुल मुखारविंदु से बताया कि राजा दक्ष के यहां 60000 कन्याओं ने जन्म लिया । जिसमें एक पुत्री मां सती ने नन्दा व्रत की कठोर तपस्या की । तपस्या करने के बाद भगवान शिव से वरदान मांगा । जिसमें ब्रह्मा विष्णु आदि सभी देवताओं ने शिवजी की 30 श्लोकों में स्तुति की है। तब शिवजी ने अत्यधिक प्रसन्न होकर माता सती को वरदान दिया । फिर माँ सती का और भगवान शिव शंकर अबढरदानी का विवाह हुआ शिव महापुराणाचार्य जी ने बताया कि शिव विश्वास के प्रतीक है तो मां भवानी श्रद्धा की प्रतीक है अगर मनुष्य श्रद्धा विश्वास रखकर शिव और भवानी की पूजा अर्चना करें तो सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। कथा वाचक के सरस हृदय मुखारविंदु से सती की कथा सुनकर श्रोता भक्तगण भावविभोर हो गए। इस अवसर पर शिव भक्त प्रेम नारायण याज्ञिक पूर्व न्याय पंचायत समन्वयक (शिक्षक) पत्नी कृष्णा देवी अशोक कुमार (पूर्व शिक्षक) पत्नी रामशील सन्तोष कुमार पत्रकार पत्नी राजकुमारी शैलेष कुमार पत्नी आरती देवी राहुल कुमार पत्नी स्वाति श्यामू पत्नी राही योगेश पत्नी नेहा योगेंद्र शिवानी हिमांशी मयंक दृष्टि आरबी श्रेया अमर नाथ शर्मा सुरेन्द्र कुमार याज्ञिक पूर्व सभासद अखिलेश कुमार सविता पत्रकार हरचरन याज्ञिक वेदप्रकाश याज्ञिक सहित अन्य मौजूद रहे है ।
What's Your Reaction?