*नीतेश कुमार संवाददाता राकेश कुमार,,,,,
उरई(जालौन)। जिला पुरुष चिकित्सालय पूरी तरह कमीशनबाजी व दलाली का अड्डा बनता जा रहा है। जहां इमरजेन्सी से लेकर ओपीडी में बाहरी लोगों का जमाबड़ा लगा रहता है। इतना ही नहीं चिकित्सक भी खुलेआम मरीजों को बाहर की दवाई व जांचे लिखने से नही चूक रहे है। शहर के जिला पुरुष अस्पताल का आलम यह है कि चिकित्सक से लेकर स्वीपर, वार्डब्वाय तक कमीशनखोरी का खेल खेलने में लगे है। आपको बता दे कि अस्पताल का ये आलम है कि ओपीडी में तैनात ज्यादातर चिकित्सक अपने साथ प्राइवेट दलालों को रखते है और खुलेआम बाहर की दवाईयां व जांचे लिखने में लगे है। इसी के साथ उनके साथ दवा कम्पनियों के एजेण्ट भी लगे रहते है, और चिकित्सक कई कम्पनियों की मोटे कमीशन वाली दवाईयां लिख अपना पेट भरने में लगे है। इसी तरह अस्पताल की इमरजेन्सी में वहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से अधिक तमाम बाहरी लोग मरीजों का इलाज करते और बाहर की दवाई जांचे व कमीशन वाले इंजेक्शन की पर्चियां थमाने में नहीं चूकते। इमरजेन्सी में तैनात कई चिकितस्क खुलेआम मरीजों व तीमारदारों का शोषण करते हुए सरकारी सुविधाएं होने के बाद भी कमीशन के चक्कर में बाहर सीटी स्कैन व अल्ट्रासाउण्ड कराने में लगे है। आपको बता दे कि इसी के साथ कई बाहरी लोग इमरजेन्सी में चिकित्सक बनकर सिर्फ कमीशन के लिए सेवाएं देते हुए देखे जा रहे है। जबकि ऐसे लोगों का स्वास्थ्य विभाग से दूर-दूर तक कोई वास्ता सरोकार नहीं है और न ही उनकी कहीं किसी भी पद पर तैनाती है। फिर भी सीएमएस डा.जेजे राम व ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक की सह पर मरीज व तीमारदारों की जेब को खाली कराने के लिए धड़ल्ले से बैठकर मरीजों की जान के साथ खिलबाड़ करने में लगे है। इतना सब होने के बाद भी अस्पताल के सीएमएस डा. जेजे राम सब जानकर भी कोई कदम नहीं उठा रहे। जिससे साफ जाहिर होता है कि सीएमएस भी शायद इस कमीशनखोरी के खेल मे शामिल हो सकते है या फिर सीएमएस अस्पताल में हो रहे इन सभी कारनामों से अनभिज्ञ है। फिलहाल उनके द्वारा इसके लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। जिससे जिला पुरुष अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चौपट होती जा रही है। अब देखना यह है कि वहां कब तक खुलेआम कमीशनखोरी का खेल चलता है और अधिकारी कब तक कार्यवाही नहीं करते हैं।