नीतेश कुमार संवाददाता राकेश कुमार,,,,
उरई (जालौन)आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति केंद्रीय इकाई के आवाहन एवं जिला इकाई तत्वाधान में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 1 अगस्त 2024 के निर्णय के परिपेक्ष में अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण के बंटवारे एवं क्रिमीलेयर लगाने के फैसले को लेकर पुनर्विचार करने हेतु एवं केंद्र सरकार द्वारा हस्तक्षेप करते हुए संवैधानिक आरक्षण को बरकरार रखने हेतु आरक्षण कानून बनाने एवं उसे नौवीं अनुसूची में डालने आदि की मांग को लेकर जिला अधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा! इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के संवैधानिक पीठ का निर्णय अनुसूचित जाति जनजाति समाज की रीड तोड़ने वाला फैसला प्रतीत हो रहा है आप सभी पूर्व से अवगत है कि संविधान सभा में आरक्षण संबंधी अनुच्छेद 16(4),341, 342 आदि पर हुई चर्चा से यह स्पष्ट है कि भारत देश में अनुसूचित जाति- जनजाति के लिए विशेष अवसर, प्रतिनिधित्व (आरक्षण) की व्यवस्था का मूल आधार न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के अनुसार सदियों से चली आ रही छुआछूत एवं जातिगत भेदभाव था न कि आर्थिक स्थिति!
आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में जातिगत भेदभाव की घटनाएं अनवरत जारी हैं अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वंचित समाज अनुसूचित जाति जनजाति के हित में सहन भूत पूर्वक होना विचार किया जाए और उच्चतम न्यायालय के 1 अगस्त 2024 के निर्णय के सापेक्ष संसद का विशेष सत्र बुलाकर मजबूत आरक्षण कानून बनवाकर संविधान के नवी अनुसूची में जोड़ा जाए साथ साथी आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की अन्य मांगों पर भी विचार किया जाए!
इस अवसर पर मुख्य रूप से रामावतार गौतम,सुंदर सिंह शास्त्री, राजेंद्र सिंह, शशिकांत प्रभाकर, देवेंद्र जाटव, गजेंद्र गौतम,भूपेंद्र दोहरे, नाथूराम बौद्ध, भारत लाल, हरीओम, रविंद्र चौधरी, मनोज कुमार दोहरे,प्रवेश प्रखर, प्रदीप कुमार, सुधाकर राव गौतम, अवधेश गौतम, संत कुमार शिरोमणि, जितेंद्र बाबू , रविंद्र चौधरी, पुनीत भारती, अवधेश कुमार अमित कुमार, भगवती शरण पांचाल, सीताराम निरंजन, अजीत सिंह एडवोकेट, विमल कुमार बौद्ध, राम प्रकाश गौतम,ओम प्रकाश गौतम, अखिलेश श्रीवास आदि आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे!