राकेश कुमार, सम्पादक-सतेन्द्र सिंह राजावत,
रामपुरा। जालौन । सरकार के लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों को अपने कार्य व्यवहार से मटियामेट करने में जुटा लेखपाल बोलचाल की भाषा में सामान्य शिष्टाचार का निर्वहन करने को भी अपना अपमान समझता है।
माधौगढ़ तहसील अंतर्गत हिम्मतपुर क्षेत्र का लेखपाल श्री प्रकाश राठौर स्वयं को लोक सेवक के स्थान पर लोक स्वामी मानते हुए उन किसानों से बदतमीजी करने में गुरेज नहीं करता जिनसे प्राप्त राजस्व के बलबूते उसे वेतन प्राप्त होता है एवं जिन की सेवा करने के लिए लोक सेवक के रूप में उसे सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र मिला है । लेखपाल श्रीप्रकाश राठौर शायद यह भूल गया कि जिन किसानों की खसरा खतौनी घरौली आदि प्रपत्रों का लेखा-जोखा एवं संरक्षण का दायित्व उसे मिला है वह उनका रचनाकार अथवा स्वामी नहीं अपितु उनका रखरखाव करके उसमें पूर्व से दर्ज के आधार पर अपनी तैनाती के स्थान पर किसानों की समस्याओं के समाधान करने वाला सरकारी लोकसेवक होता है जिससे सरकार के जन कल्याणकारी कार्यक्रमो को आम लोगों तक पहुंचाया जा सके। लेकिन लेखपाल श्रीप्रकाश राठौर लोकसेवक संहिता में निर्दिष्ट व्यवहार के विपरीत आचरण कर किसानों को छोटा एवं उन्हे अपनी प्रजा व स्वयं को स्वामी समझते हुए उनसे अप्रिय व अपमानजनक भाषा में बात करने से नहीं हिचकिचाते हैं । उदाहरण स्वरूप एक वाकयात के अनुसार ग्राम हिम्मतपुर निवासी उमाशंकर पुत्र राजेंद्र प्रसाद द्विवेदी ने 12 जुलाई 2024 में उप जिलाधिकारी माधौगढ़ को इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि राजकीय नलकूप नंबर 116 ग्राम हिम्मतपुर के द्वारा आसपास 200 बीघा (80 एकड़) जमीन की सिंचाई होती है लेकिन आसपास के किसानों ने गूलों को अपने खेतों में बिस्मार कर लिया है इसके कारण सरकारी नलकूप से किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है अतः खेतों में बिस्मार हुई गूलों को खुलवाया जाए । प्रार्थना पत्र देने वाले उमाशंकर ने बताया की लेखपाल जी उप जिलाधिकारी माधौगढ को प्रार्थना पत्र देने से नाराज हो गए एवं उन्होंने कहा कि यदि पहले मुझे मिलते तो शायद तुम्हारा काम हो जाता लेकिन अब बात जब उपजिलाधिकारी तक पहुंच गई हो तो उनके हस्तक्षेप से ही नापजोख संभव है। इस संदर्भ में जब लेखपाल श्री प्रकाश से किसान द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने उचित उत्तर देने के स्थान पर लोक सेवक व्यवहार की धज्जियां उड़ाते हुए किसान उमाशंकर द्विवेदी के प्रति आक्रोश से युक्त शब्दों का प्रयोग किया । बार-बार एवं बहुत समझाने व शान्तचित्त होकर बात करने के लिए अनुरोध करने के बाद उन्होंने बताया कि सम्बन्धित खेतों के नक्शा में गूल नहीं है उपजिलाधिकारी को दिया गया प्रार्थना पत्र अनुचित है अतः गूल नहीं खुदवाई जा सकती । इस संदर्भ में उपजिलाधिकारी माधौगढ़ को अवगत कराया गया है , उन्होंने कहा जांच करवाकर यथोचित कार्रवाई की जाएगी। बताया जाता है कि उक्त लेखपाल अपने खराब व्यवहार के लिए एवं ठीक ढंग से कर्तव्य पालन न करने के कारण उपजिलाधिकारी द्वारा की गई दंडात्मक कार्रवाई के तहत पहले से ही मूल वेतन पर हैं।