राकेश कुमार संपादक सत्येंद्र सिंह राजावत
उरई। मजदूर दिवस पर देर शाम पूर्व विधायक संतराम कुशवाहा के आवास पर सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता वयोवृद्ध समाज सेवी रामकृष्ण शुक्ला ने की जबकि जुझारू समाजवादी विचारक अशोक गुप्ता ने संचालन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में रामकृष्ण शुक्ला ने शिकागो के मजदूरों द्वारा आज के दिन दिये गये बलिदान को याद किया और कहा कि दुनिया भर में मजदूरों के अधिकार संरक्षित करने के लिए बने कानून इसी संघर्ष का परिणाम है। उनकी बलिदान गाथा हर काल खंड में मजदूरों की सर्वोपरिता का स्मरण कराती रहेगी।
वरिष्ठ साहित्यकार अनिल शर्मा ने महिलाओं के साथ श्रम के क्षेत्र में आज भी जारी भेदभाव को बिडंवनापूर्ण करार दिया। वरिष्ठ स्तंभकार केपी सिंह ने कहा कि ऋगवेद का समय सबसे खुशहाल माना गया है क्योंकि उस काल में कामगारों को ऋषियों से भी ऊपर का दर्जा दिया गया था। कमेरी जातियों के हाथों में जब-जब सत्ता की कुंजी पहुंची तब-तब देश विशाल साम्राज्य के रूप में परिवर्तित हुआ और जनोन्मुखी शासन व्यवस्था के कीर्तिमान स्थापित किये गये। नन्दवंश और मौर्यवंश इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के इस संदेश के अनुरूप समाज और शासन व्यवस्था में कमेरों की महत्ता कायम रखी जानी चाहिए जिससे देश का गौरव बढ़ेगा।
इस अवसर पर प्रसिद्ध संस्कृतकर्मी राज पप्पन के नेतृत्व में बजा नगाड़ा शांति का जनगीत गाया गया। स्त्रियों की दशा पर छात्रा सविता ने एक मार्मिक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक कामरेड गिरेन्द्र सिंह, चौधरी जय करन सिंह आप नेत्री श्रृद्धा चैरसिया, सुशील चैधरी, रामभरोसे कुशवाहा, छोटे लाल विश्वकर्मा, कामरेड धनीराम वर्मा, संजीव गुप्ता, इप्टा के महासचिव दीपेन्द्र आदि भी उपस्थित रहे।