माता सती अनुसुईया की कथा सुन श्रद्धालु हुए भावविभोर।।
राकेश कुमार
रामपुरा जालौन। विकास खंड रामपुरा की ग्राम पंचायत जायघा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को आचार्य रजनीश महाराज ने माता सती अनुसुइया की कथा का मनोहर ढंग से वर्णन किया l कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए l आचार्य रजनीश महाराजने कहा कि भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश ने सती अनुसूया के सत्य और ब्रह्म शक्ति की परख करने की सोची जब अत्री ऋषि आश्रम से कहीं बाहर गए थे तब ब्रह्मा विष्णु और महेश व्यक्तियों का भेष धारण करके अत्री ऋषि के आश्रम में पहुंचे और भिक्षा मांगने लगे lअतिथि सत्कार की परंपरा के चलते सती अनुसुइया ने त्रिमूर्तियों का उचित रूप से स्वागत करके उन्हें खाने के लिए निमंत्रित किया लेकिन व्यक्तियों के भेष में त्रिमूर्तियों ने एक स्वर में कहा कि हे साध्वी हमारा एक नियम है कि जब तुम नग्न होकर भोजन परोसोगी तभी हम भोजन करेंगे, अनुसूइया ने जैसी आपकी इच्छा यह कहते हुए व्यक्तियों पर पति परमेश्वर को याद कर जल छिड़ककर तीनों को वाल्य रूप में बदल दिया ,अनुसुईया के मातृत्व भाव उमड़ पड़ा ।सिर्फ शिशुओं को दूध भात खिलाया और तीनों को गोद में सुलाया तो तीनों गहरी नींद में सो गए । अनुसूइया माता ने तीनों को झूले में झूलाकर कहा तीनों लोको पर शासन करने वाले त्रिमूर्ति मेरे शिशु बन गए मेरे भाग्य को क्या कहा जाए फिर वह मधुर कंठ से लोरी गाने लगी ।उसी समय कहीं से एक सफेद बैल आश्रम में पहुंचे एक विशाल गरुड़ पंख फड़फड़ाकर देवी के आश्रम पर उड़ने लगा और एक राजहंस कमल को चौथ में लिए हुए आया और आकर द्वार पर उतर गया यह नजारा देख नारद लक्ष्मी सरस्वती और पार्वती भी पहुंचे । नारद मुनि ने विनयपूर्वक अनुसुईया से कहा माते अपने पतियों से संबंधित प्राणियों को आपके द्वार पर देखकर यह तीनों देवियां यहां पर आ गई हैं यह अपने पतियों को ढूंढ रही थी इनके पतियों को कृपया इन्हें सौप दीजिए । अनुसूइया ने तीनों देवियों को प्रणाम करके कहा कि माताओं झूलों में सोने वाले शिशु अगर आपके पति हैं तो इनको आप ले जा सकती है। उक्त मौके पर पारीक्षित कुसुम देवी पत्नी शिवनारायण सिंह,गजेंद्र सिंह,लोकेंद्र सिंह,ब्रजेंद्र सिंह,विष्णुपाल सिंह,पुष्पेंद्र सिंह सहित समस्त परिवार व ग्रामवासी मौजूद रहे।
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