जालौन। श्रीवीर बालाजी हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित 35 दिवसीय धार्मिक आयोजन के तृतीय चरण के अंतिम दिन श्रीरामकथा का समापन हो गया। कथा व्यास पंडित ब्रजमोहन दीक्षित ने अंतिम दिन की कथा में सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राजा राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।
रामकथा में कथा व्यास पंडित ब्रजमोहन दीक्षित ने कहा कि रामायण व तुलसी हमें जीने के तरीके सिखाती है। दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। यह राम कार्य है। श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया और बताया कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता। अन्ततः अच्छाई और सत्य की जय होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा भक्तों द्वारा की गई। वहीं यज्ञ स्थल पर यज्ञाचार्य ने पंडित अनुज बाजपेई ने आहूतियां दिलाईं। इस दौरान विश्व में शांति व कल्याण की कामना की गई। तृतीय चरण के समापन के बाद मंदिर के पुजारी कमलेश महाराज ने बताया कि सोमवार से पंडाल में देवी पुराण आयोजन होगा जो रविवार तक चलेगा। देवी पुराण की कथा पंडित शिवम नगायच करेगें। इसके समापन के बाद शिव पुराण का आयोजन होगा। इस मौके पर राजू विश्नोई, अनुरुद्ध, अंजनी, मयंक, शिवम, सत्यम, जय, विनोद आदि भक्त मौजूद रहे।