माधौगढ़ (जालौन)।
माधौगढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम अकबरपुरा में पारीक्षत राजवीर सिंह (झल्लन) के यहां दिव्य भागवत महापुराण कथा का संगीतमय आयोजन चल रहा है पं. नन्दकिशोर शास्त्री जी अपनी मधुर वाणी से स्रोताओं को भागवत कथा सुना रहे हैं सनातन संस्कृति को बचाए रखने के लिए ऐसे महायज्ञों का आयोजन होता रहना चाहिए। अधर्म और पापियों का नाश एवं भक्तों को अभय देने के लिए विविध शरीर धारण करके प्रभु धरती पर अवतरित होते हैं। सभी सनातनियों को ईश्वर में आस्था रखनी चाहिए और धर्म कार्यों एवं सनातन की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए, अखिल ब्रम्हांड के स्वामी, राजाओं के राजा श्री हरि की शरण में जाने वालों का कभी अमंगल नही होता, लक्ष्मी के पीछे भागने से माता लक्ष्मी की प्राप्ति नहीं होगी बल्कि नारायण के पीछे पड़ने से माता लक्ष्मी अपने आप आपके पास आ जायेंगी। रामचरित्रार्थ पर चलकर ही कृष्ण के चरित्र को प्राणी समझ सकता है आज की कथा में श्री शास्त्री जी ने क्षत्रिय वंशो की उत्पत्ति एवं भगवान श्री कृष्ण के प्रकटोत्सव और उनकी दिव्य लीलाओं के साथ नंद के गोपाल भयो जय कन्हैया लाल की भजन का मधुर गायन किया। शास्त्री जी ने समाज को रामायण और महाभारत के दो उदाहरण देकर परिवार को परिभाषित किया। किस प्रकार भगवान राम और भरत ने राज्य को ठुकराया एक ने पिता के वचन का मान रखने के लिए राज्य छोड़कर वन जाना स्वीकार किया और दूसरे ने उस राज्य पर बड़ें भाई का अधिकार समझकर राज्य स्वीकार नहीं किया और वहीं दूसरी तरफ महाभारत का उदाहरण देकर उन्होंने बताया किस प्रकार बेईमानी और अधर्म से कौरवों ने पाडंवों का हिस्सा हड़पा और उन्हें सुई की नोंक के बराबर भी भूमि नही देने की बात कहकर महाभारत जैसा महाभयंकर युध्द को जन्म दिया। रामायण प्रेम, संस्कार और मर्यादा सिखाते हुए धर्माचरण पर चलने की सीख देती है वहीं दूसरी ओर महाभारत ईमानदारी छल कपट से दूर रहने की शिक्षा देती है। इस मधुर कथा के दौरान हजारों स्रोतागण मौजूद रहे।