जालौन। किसी भी व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। कंस ने अहंकार किया तो उसका सर्वनाश हो गया। यह बात द्वारिकाधीश मंदिर प्रांगण में आयोजित साप्ताहिक भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास अनुराग चंसौलिया ने कही।
द्वारिकाधीश मंदिर प्रांगण में आयोजित भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास अनुराग चंसौलिया ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। कंस की कारागार में वासुदेव- देवकी के भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। उनका लालन-पालन नंदबाबा के घर में हुआ था। इसलिए नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया। कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। कृष्ण जन्म की खुशी में कथा स्थल को विशेष रूप से सजाकर माखन मिश्री का प्रसाद वितरण किया गया और भक्तों ने नाच कूदकर नंदोत्सव मनाया। श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया गया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमने लगे। इस मौके पर पारीक्षित पूनम देवी, गुरूनारायण साहू, धु्रव चंसौलिया, बृजेश चंसौलिया, दिलीप साहू, अनूप महाराज, देवेश वर्मा, अवधेश, पवन, राहुल, विनोद, मधु पांडेय, रागिनी, मोहिनी आदि मौजूद रहे।