जालौन। सभी भक्त भागवत को अपने जीवन में उतारें ताकि लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। यह बात जगन्नाथ धाम में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर कथा व्यास पंडित हरप्रसाद अड़जारिया ने कही।
जगन्नाथ धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा अंतिम दिन कथा व्यास पंडित हरप्रसाद अड़जारिया ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। सुदामा चरित का वर्णन करते हुए कहा कि गरीब ब्राह्मण सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर ना चाहते हुए भी द्वारिका जाने को तैयार होते हैं। द्वार पर मित्र के आने की खबर लगते ही श्रीकृष्ण नंगे पैर ही उनसे मिलने के लिए द्वार पर पहुंच जाते हैं। उन्होंने मित्र सुदामा को बिना मांगे ही उन्हें धन्य धान्य से परिपूर्ण कर दिया। कहा कि मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती। इस मौके पर पारीक्षित तारा भगवानदास गुप्ता, ओमप्रकाश, सुरेश द्विवेदी, सतीश गुप्ता, रवि कुशवाहा, शिवराम, नरेश, मोहित, परी, गौरी, कृतिका, कृष्णा आदि भक्त मौजूद रहे।