श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र का किया गया वर्णन

Dec 29, 2024 - 19:14
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श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र का किया गया वर्णन
जालौन। नगर के नाना महाराज मंदिर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास पंडित अवधेश शास्त्री ने सुदामा चरित्र के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया। जिसे सुनकर उपस्थित श्रोताओं की आंखें नम हो गईं। नाना महाराज मंदिर पर आयोजित भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास पंडित अवधेश शास्त्री ने कहा कि सुदामाजी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामाजी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश है। उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। पत्नी के बार बार कहने पर सुदामा द्वारका पहुंचते हैं। भगवान कृष्ण के महल के बाहर पहुंचने पर जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। यह सुनकर श्रीकृष्ण नंगे पैर ही दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सुदामा जी को सिंहासन पर बैठाकर कृष्णजी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामाजी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामाजी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं। इसलिए कहा गया है कि जब जब भक्तों पर विपदा आई है प्रभु उनका तारण करने जरुर आए हैं। इस मौके पर महंत विजय रामदासजी महाराज, परीक्षित गोपालजी गुप्ता, आशीष सोनी, बीनू गुप्ता, राधेश्याम पांडे, अवध किशोर त्रिवेदी, चंद्रशेखर, उर्मिला गुप्ता, प्रिया गुप्ता, किरन गुप्ता, डॉ कुसुम लता त्रिवेदी, सुनीता, मंजू गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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