जालौन(उरई)। क्षेत्रीय ग्राम कैंथ स्थित खेरेश्वर हनुमान एवं शंकर मंदिर परिसर में चल रहे 11 कुंडीय श्रीराम महायज्ञ और साप्ताहिक रामकथा महोत्सव के तीसरे दिन रामकथा वाचक अनुज महाराज ने तीसरे दिन की कथा का भावपूर्ण वर्णन करते हुए भगवान श्रीराम के बाल्यकाल, गुरु वशिष्ठ द्वारा शिक्षा दीक्षा और उनके धर्मनिष्ठ जीवन के प्रारंभिक प्रसंगों पर प्रकाश डाला।
रामकथा वाचक अनुज महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम का जीवन मर्यादा, सेवा और सत्य का प्रतीक है। उनके चरित्र से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी संयम नहीं खोना चाहिए। उन्होंने बालकांड का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार श्रीराम ने अपने भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त की और फिर यज्ञ रक्षा के लिए महर्षि विश्वामित्र के साथ वनगमन किया। इस दौरान उन्होंने ताड़का वध कर धर्म की रक्षा की। कहा कि आज के समय में हमें श्रीराम के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में संयम, कर्तव्यनिष्ठा और सेवा की भावना को अपनाना चाहिए। कथा के दौरान श्रद्धालु जय श्रीराम के जयकारों का घोष करते रहे और भक्ति रस में सराबोर हो गए। महायज्ञ की अग्निहोत्रीय क्रियाएं यज्ञाचार्य डॉ. शिवशंकर शुक्ला और रामबाबू त्रिपाठी की अगुवाई में संपन्न की गईं। यज्ञ मंडप में उपस्थित यजमानों ने विधिपूर्वक आहुतियां दीं और राष्ट्र, समाज व परिवार की सुख-शांति की कामना की। वैदिक मंत्रोच्चारण से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय बना रहा।