जालौन। नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन भक्त प्रहलाद, समुद्र मंथन की कथा का वर्णन कथा पंडित जगमोहन त्रिपाठी ने किया।
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। कहा कि बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाता है, वह जीवन भर उसका ही स्मरण करता है। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ। ऐसी कई मिसालें हैं, जिससे सीख लेने की जरूरत है। समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चितन तो कभी बुरे विचारों का मंथन चलता रहता है। हमें अचछे विचारों को अपनाने की जरूरत है। इस मौके पर पुजारी हृदेश नारायण मिश्रा, पारीक्षित अनिल तिवारी, शीतला तिवारी, डॉ. वेद प्रकाश शर्मा, बाबूजी गुर्जर, डॉ बृजेश उपाध्याय, सुशील बाजपेई, राजीव माहेश्वरी, निशा माहेश्वरी, महावीर सिंह, राजेश वर्मा, मुन्ना सेंगर, अंजू मिश्रा, रिंकू गुप्ता, विनय तिवारी, बिटोली, अरविंदी, शिवकुमारी, प्रदीप तिवारी, रेखा, प्रेमलता आदि मौजूद रहे।