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उप डाकघर का सर्वर खराब होने से काम रहा ठप

जालौन (उरई)। उप डाकघर में संचालित रेलवे आरक्षण काउंटर पर आए दिन सर्वर खराब रहने से काम ठप रहता है। लोग टिकट के लिए घंटों लाइन में लगते हैं। जिसके बाद सर्वन न आने से लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है। ऐसे में लोगों का समय बर्बाद होता है साथ ही उन्हें जिला मुख्यालय पर जाकर टिकट कराने पड़ते हैं। इतना ही नहीं कर्मचारी भी आरक्षण करने में रूचि नहीं दिखाते हैं। जिसके चलते काउंटर से कर्मचारी नदारत नजर आते हैं। आरक्षण काउंटर होने के बावजूद नगर व क्षेत्र जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है जिससे लोगों में रोष है। नगरवासियों ने रेल महाप्रबंधक से व्यवस्थाएं ठीक कराने की मांग की है। नगर व क्षेत्र की जनता को पूर्व में अपना समय व रुपये खर्च करके टिकट के लिए जिला मुख्यालय पर भागना पड़ता है। क्षेत्र की जनता को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लगभग 8 वर्ष पूर्व नगर में रेलवे रिजर्वेशन काउंटर खुलने से नगर ही नहीं बल्कि क्षेत्र की जनता ने भी हर्ष व्यक्त किया था। लेकिन समय बीतने के साथ साथ आरक्षण काउंटर के संचालन में विभाग की दिलचस्पी घटने लगी। यही कारण रहा कि आरक्षण काउंटर पर समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। हालत यह है कि और चीजें तो छोड़ ही दीजिए लाइट न होने पर भी लोगों के आरक्षण नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा आए दिन सर्वर न आने की समस्या बनी रहती है। जो लोग जिला मुख्यालय नहीं जाना चाहते हैं उन्हें कई कई दिनों तक प्रतिदिन टिकट के लिए चक्कर काटना पड़ता है। इसके बाद भी जरूरी नहीं है कि उन्हें टिकट मिल ही जाएं। नगर का क्षेत्र से लोग काफी आस लेकर अपना आरक्षण कराने के लिए जब टिकट काउंटर पर पहुंचते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि तकनीकी खराबी अथवा बिजली न होने के चलते उनका रिजर्वेशन नहीं हो सकता है। जिस पर लोगों को मायूस होकर लौटना पड़ता है। इसके बाद उन्हें आरक्षण कराने के लिए उरई भागना पड़ता है। जिससे उनका न केवल खर्चा अधिक आता है बल्कि समय भी काफी खराब होता है। रेलवे आरक्षण काउंटर की परेशनियों को लेकर राहुल राजावत, आलोक शर्मा, सुहेल अख्तर, मोहम्मद मुसैब, प्रतीककांत चंसौलिया आदि ने रेल महाप्रबंधक से डाकघर में रिजर्वेशन काउंटर की व्यवस्थाएं दुरूस्त कराने की मांग की है। उक्त संदर्भ में पोस्ट मास्टर शफकत उल्ला ने बताया कि तकनीकी खराबी के बारे में रेलवे के अधिकारियों को कई बार सूचित किया जा चुका है। लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। रेलवे अधिकारी व्यवस्थाओं को सुधारने में रूचि नहीं ले रहे हैं। यदि व्यवस्थाएं दुरूस्त करा दी जाएं तो कोई समस्या न रहेगी।

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