जालौन (उरई)। छात्राओं को नाड़ी ज्ञान दिलाने के लिए आंनदीबाई हर्षे सरस्वती बालिका विद्या मंदिर इंटर कालेज में शिवर लगाया गया। शिविर में डां पल्लवी हर्षे ने स्कूल की 25 छात्राओं को नाड़ी परीक्षण की तरीका सिखाया। डां पल्लवी हर्षे ने शिविर में बताया कि वात, पित्त, कफ ये तीन शारीरिक दोष माने गये हैं। ये दोष असामान्य आहार-विहार से विकृत या दूषित हो जाते है इसलिए इसे ‘दोष‘ कहा जाता है। शरीरगत् अन्य धातु आदि तत्व इन्हे दोषों के द्वारा दूषित होता है। इन तीनो दोषों को शरीर का स्तम्भ कहा जाता है।इन दोषों की जानकारी हमें नाड़ी के माध्यम से मिल जाती है। जब ये पता चल जाता है कि शरीर में कौन सा दोष है उसे ठीक करने के लिए उपचार किये जाते। स्कूल की 25 छात्राओं को नाड़ी के माध्यम से शरीर के दोष का पता लगाना सिखाया गया। नाड़ी के माध्यम से दोष का पता लगाने की छात्राओं में खासा उत्साह दिखा तथा पूरी तन्मयता से नाड़ी का परीक्षण सीखा। इसके साथ खानपान व अपनी दिनचर्या के माध्यम से दोषों को दूर करना बताया गया। इस मौके पर स्कूल की प्रधानाचार्या सुनीता शर्मा, संध्या हर्षे, अवनीन्द्र श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।
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