कुसमिलिया

धूमधाम से मनाई गई होली जमकर उड़े रंग और गुलाल

0 गांव की गलियों से लेकर सड़कों तक दिखी होली की उमंग

कुसमिलिया (जालौन)। रंग, गुलाल और अबीर से एक-दूसरे को सराबोर करने की होड़ और होली के गीतों की मस्ती के साथ रंगों का त्योहार होली शनिवार को ब्लाक डकोर के ग्रामीण अंचलों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। क्या अमीर, क्या गरीब सभी एक ही रंग में नजर रहे थे। हर तरफ होली की धूम थी। बच्चे, बूढ़े, जवान सभी होली की मस्ती में थे। डकोर ब्लाक के कसमिलिया, मुहाना, मकरेछा, बंधौली, चिल्ली, मुहम्मदाबाद आदि गांवों में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। कुसमिलिया में होली की उमंग गुरुवार से ही दिखने लगी थी। गुरुवार की शाम होलिका दहन के बाद से ही लोग होली के रंग में रंगने लगे थे। सुबह होते-होते लोग होली की मस्ती में डूब गए। होली है होली है की गूंज हर गली, हर मुहल्ले में गूंजने लगी।
कुसमिलिया में प्राचीन परम्परा के अनुसार फागों के गायन की टोलियों ने पौराणिक और ऐतिहासिक पलों की याद तरोताजा कर दी। फगुआरों कि रसीली धुन में ढोलक, झांझ, मजीरों के साथ ग्रामीण कलाकारों ने हर गलियों और चैराहों पर कई टोलियों के रूप में ब्रज व बरसाने की फागें और नवयुवकों ने बॉलीबुड फिल्मों के होली गीतों से अलग ही समां बांध दिया। वैसे तो होली में बिबिध रंगों की बौछार होती है परन्तु इस बर्ष भगवा रंग गुलाल का नजारा देखते ही बनता था। फागों में ‘‘अर्जुन के रथ हांके हरि ने अर्जुन के रथ हांके लाल और मेरो खुल गयो बाजूबन्द आज की होरी में, होरी में होरी में अरे होरी में विशेष मस्ती दिखी। बताते हैं कि कुसमिलिया फाग गायकों और कलाकारों की खान रही है। यहां सदियों बसे कलाकारों का जमावड़ा रहा है। विशेष रूप से यहां फूलों की होली, लट्ठमार होली, कपड़ा फाड़ होली, प्राचीन व नवीन परम्परा से मिलाजुला फागों का गायन व डीजे की धुनों से पूरा डकोर ब्लाक बरसाना हो गया। होली गीत और फाग गायकों की टोलियों में हरिशंकर ढोलक मास्टर, महिपाल भइयन, मइयादीन दादी, हरनाम मुखिया, कुंवरलाल याज्ञिक, अमरचंद्र, विशम्भर, एमडी राजपूत आदि रहे। होली मिलन समारोह में ग्राम प्रधान कृष्ण कुमार राजपूत, रवि राजपूत बीरेंद्र राजपूत, विपिन पालीवाल, दिवाकर और ग्रामीण आदि उपस्थित रहे।
फोटो परिचय—
फागों का गायन करते ग्रामीण।

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