कुसमिलिया

एक वर्ष से कुसमिलिया में पागल बंदर ने बरपाया आतंक

0 ग्रामीण ही नहीं बल्कि पशुओं तक को काटने से नहीं चूकता

कुसमिलिया (जालौन)। लगभग एक वर्ष से पागल बंदर के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं। बंदर के आतंक से महिलाएं और बच्चे भयभीत हैं। पशु हो, बच्चे हों या महिलाएं सभी के नाक में दम हो गया है। डकोर थाना क्षेत्र के गांव कुसमिलिया में एक बंदर के आतंक से महिलाएं छत से डर के भागती हैं तो सीढ़ियों से फिसल कर गिर जाती है । बंदर छोटे बच्चों से खाने पीने की वस्तुएं छीन कर खाता ही नहीं वल्कि उन्हें नोंच लेता है, काटने को उद्धत होता है। जो बच्चे भाग नहीं पाते भयभीत होकर रोते हैं उन्हें जमीन पर पटक देता है। बंदर के डर से ग्रामीण भयभीत हो गए हैं। गांव की कई महिलाओं के बाल पकड़कर उन्हें थप्पड़ भी मार दिया है। बंदर का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि उसके भय से गांव के लोग सहम गए हैं। बंदर के आतंक से गांव की महिलाओं ने घर की छतों पर जाना ही छोड़ दिया है। दरअसल, रविवार को बंदर के हमले से कई बच्चे व महिलायें घायल हो गए। उसके हमले से जख्मी हुए दुधारू पशुओं के दूध पीने से भी लोगों में डर समा गया है। गांव के मंगल सिंह चक्की बाले, सुरेंद्र शर्मा, परमेश्वरी दास, शीलू राजपूत, जीतू बादल, पप्पू श्रीवास, रामजी गुप्ता आदि दर्जनों लोगों ने बताया कि उनकी गाय, भैंस को बंदर ने पंजे से हमला कर जख्मी कर डाला है। ग्रामीणों का कहना है कि उसके डर से गांव के लोग अपने घरों का दरवाजा बन्द कर दे रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों से बंदर के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।
फोटो परिचय—
पागल बंदर।

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