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मौरम लोकेशन माफियाओं में कभी भी छिड़ सकती बर्चस्व की जंग

0 आये दिन होती रहती नोंकझोंक, गाली गलौज

सत्येन्द्र सिंह राजावत
उरई (जालौन)। जनपद में सक्रिय मौरम लोकेशन माफियाओं में कभी भी बर्चस्व की जंग खूनी रूप धारण कर सकती है। क्योंकि अवैध कमाई के चक्कर में लोकेशन माफियाओं में आपनी प्रतिद्वंद्विता इस कदर बढ़ चुकी है कि उनके बीच आये दिन तीखी नोंकझोंक ही नहीं बल्कि मारपीट की नौबत बनती रहती है। लेकिन अवैध कारोबार होने की वजह से जो भी सिंडीकेट जिस क्षेत्र में मजबूत होता है वह अपने मकसद में सफल हो जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि पुलिस अभी तक जनपद में सक्रिय लोकेशन सिंडीकेट पर पूरी तरह से नकेल नहीं कर पायी है।
इस संबंध में सूत्रों की मानें तो बगैर एमएम 11 लेकर निकलने वाले मौरम वाहनों की सुरक्षित निकासी कराने के लिये ही लोकेशन सिंडीकेट काम करता है। इस अवैध कारोबार को लेकर एआरटीओ व खनिज दफ्तर के जिम्मेदार हमेशा से ही मेहरबानी लुटाते चले आ रहे है। इसके पीछे क्या हो सकता है यह तो वही जानते होंगे लेकिन दोनों दफ्तरों से सूत्रों के अनुसार इसके पीछे जनपद में पूरा हाईटेक नेटवर्क तैयार है जो यह तय करता है कि कितने समय बगैर एमएम 11 के वाहनों की सुरक्षित तरीके से करायी जाये। इसके लिये वह बाकायदा मोबाइलों का सहारा लेकन ऐसे वाहन चालकों से संपर्क कर अपना मैसेज कनवे करते रहते हैं। अब सवाल यह उठता है कि लोकेशन सिंडीकेट पर कानूनी हंटर कब चलेगा यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन कड़वी सच्चाई से कोई भी व्यक्ति इंकार नहीं कर सकता है।

एआरटीओ, खनिज दफ्तर की मिलीभगत से फलफूल रहा लोकेशन का धंधा

उरई। मौरम भरे वाहनों की सुरक्षित निकासी कराने के लिये जनपद में विगत कई सालों से लोकेशन सरगनाओं का एक पूरा सिंडीकेट तैयार हुआ जिसमें एआरटीओ से लेकर खनिज दफ्तर के जिम्मेदारों की मिलीभगत रहती है। पिछले दो दशकों में लोकेशन सिंडीकेट का अवैध कारोबार ऐसा चमका कि देखते ही देखते उनका जनपद में सिक्का कायम हो गया। हैरानी की बात तो यह है कि इस धंधे में एआरटीओ व खनिज दफ्तर के तार पूरी मजबूती से जुड़े रहते हैं जिससे यह अवैध कारोबार बदस्तूर चलता रहता है।

पूर्व एसपी ने लोकेशन माफियाओं पर कसा था शिकंजा

उरई। जिले में तैनात रहे पूर्व एसपी यशवीर सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान जनपद में सक्रिय लोकेशन सिंडीकेट के पर कतरने के लिये एक के बाद एक कानूनी कार्यवाही को अंजाम दिया था इसके बाद लोकेशन सिंडीकेट से जुड़े लोग चूहों की तरह अपने बिलों में दुबकने को विवश हो गये थे और जब तक वह जनपद में रहे लोेकेशन सिंडीकेट से जुड़े लोगों के वाहन सड़कों से गायब रहे। लेकिन उनके जाते ही एक बार पुनः बगैर एमएम 11 के मौरम वाहनों की सुरक्षित निकासी कराने के लिये लोकेशन सिंडीकेट हाईटेक नेटवर्क के साथ सक्रिय हो गया।

एआरटीओ दफ्तर से चलता टोकन सिस्टम का सिक्का

उरई। बगैर एमएम 11 के मौरम भरे वाहनों की सुरक्षित निकासी कराने के लिये एआरटीओ दफ्तर से बाकायदा टोकन सिस्टम का गोरखधंधा लंबे असमय से चला आ रहा है। यह पूरा धंधा लोकेशन सिंडीकेट के जिसमें कुछ कथित तरीके से मीडिया से जुड़े दल्लों की पौबारह हो रही है। यही लोकेशन सिंडीकेट बगैर एमएम 11 पर दो से तीन बार एक दिन में वाहनों की निकासी कराने का ठेका लेते हैं। इसके बदले में मौरम चालकों से महीने का नजराना फिक्स रहता है। इसके बाद इसका आपस में ईमानदारी के साथ बंटवारा कर लिया जाता है।

एआरटीओ प्रवर्तन के साथ कर चुके मारपीट

उरई। एक दशक पूर्व लोकेशन सिंडीकेट से जुड़े लोगों ने एआरटीओ प्रवर्तन के साथ मारपीट की घटना को अंजाम देने में संकोच नहीं किया था। इसके पीछे मुख्य वजह यह थी कि एआरटीओ प्रवर्तन ने अवैध तरीके से आने वाले मौरम भरे वाहनों को जोल्हूपुर मोड़ के पास रोकने का दुस्साहस दिखाया था। इसके बाद उक्त मामले में ऐसा तूल पकड़ा कि एआरटीओ ने मामले की लिखित तहरीर कालपी कोतवाली में दी थी जिस पर मारपीट करने वालों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी। अब यह मामला कहां है इसके बारे में जानकारी नहीं मिल सकी।

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