उरई

मतदान के बाद राजनैतिक हल्कों में प्रत्याशियों की जीत-हार को लेकर शुरू हुई माथापच्ची

0 उरई-जालौन सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार
0 कालपी में चर्तुकोणीय मुकाबले की चल पड़ी चर्चायें
0 माधौगढ़ में भी मतदान बाद त्रिकोणीय लड़ाई दिखी

सत्येन्द्र सिंह राजावत
उरई (जालौन)। रविवार को जनपद की तीनों विधानसभा क्षेत्रों में हुये मतदान के बाद अब राजनैतिक हल्कों में प्रत्याशियों के जीत-हार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्माने लगा है। आलम यह है कि हर राजनैतिक दल का कार्यकर्ता अपनी पार्टी के ही प्रत्याशी की जीत का दावा करने में पीछे नहीं दिख रहा है। तो वहीं राजनीति से दूर रखकर मतदान के बारे में जानकारी जुटाने वालों की रायशुमारी में जो बात निकलकर सामने आ रही है वह चैंकाने वाली हो सकती है। यदि ऐसे लोगों को जानकारी सटीक रही तो उनकी बात सच साबित हो सकती है। लेकिन इसके इतर तीनों विधानसभा क्षेत्रों में हर राजनैतिक दल भाजपा को ही अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानकर चल रहा है जिससे एक बात तो साफ है कि भाजपा व उसके समर्थित दल के प्रत्याशी चुनाव के मुख्य संघर्ष में रहे हैं।
यदि उरई-जालौन विधानसभा क्षेत्र की बात की जाये तो यहां से भाजपा से गौरीशंकर वर्मा को ही सपा के दयाशंकर वर्मा व बसपा से सत्येंद्र प्रताप ने अपना मुकाबला माना है। ऐसी स्थिति में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष माना जा सकता है। यदि मतदान को लेकर मतदाताओं की रायशुमारी से जो चर्चायें निकलकर सामने आ रही है उन पर विश्वास किया जाये तो तीनों प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों के मतदाताओं को अपनी ओर मोड़ने में सफलता हासिल की जो उन्हें मुख्य मुकाबले में ला रही है। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना था जो मतदाता भाजपा से नाराज चल रहा था वह अंतिम दौर में भाजपा के पक्ष में लामबंद दिखा जिससे भाजपा प्रत्याशी की स्थिति को मजबूत मानकर चल रहे हैं।
इसी क्रम में कालपी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपने सहयोगी निषाद पार्टी के हिस्से में दी थी जहां से छोटे सिंह चैहान चुनावी मैदान में था जबकि कांग्रेस से उमाकांती, सपा से विनोद चतुर्वेदी व बसपा से छुन्ना पाल पूरी दमखम से चुनावी मैदान में डटे रहे। शुरूआती दौर में मतदाताओं का रुझान किसी की समझ में नहीं आया लेकिन मतदान के दिन जिस तरह से मतदाताओं ने खुलकर अपनी पसंद के प्रत्याशियों के बारे में अपनी राय रखी जिससे एक बात तो साफ हो गयी है कि यह सीट बहुकोणीय मुकाबले के आसार बनते नजर आये। अब पलड़ा किसका भारी होगा यह तो दस मार्च को ही पता चल सकेगा लेकिन तब तक राजनैतिक हल्कों में प्रत्याशियों की हारजीत को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म बना रहेगा और हर रोज समीकरणों की नये सिरे से व्याख्या होती रहेगी।
इसी प्रकार से माधौगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने वर्तमान विधायक मूलचंद्र निरंजन को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था तो बसपा ने शीतल कुशवाहा व सपा ने राघवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया था। यहां शुरूआती दौर में भाजपा प्रत्याशी का विरोध हुआ लेकिन मतदान के दिन तक विरोध का माहौल शांत हो गया था। ऐसी स्थिति में तीनों प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशी एक-दूसरे को चुनावी अखाड़े में अच्छी खासी टक्कर देते दिखे। ऐसी स्थिति में यहां पर त्रिकोणीय संघर्श के साफ संकेत मतदान के दौरान दिखे। इसी तरह की बात राजनैतिक हल्कों में चल रही है। क्षेत्रीय मतदाता भी यहां पर किसी भी प्रत्याशी के बारे में खुलकर अपनी राय रखने से बचते दिखे। ज्यादातर मतदाता अपने मताधिकारी का प्रयोग कर अपने घरों को लौटकर अपने काम में व्यस्त हो गये। लेकिन मतदान की समाप्ति तक लगभग हर पोलिंग बूथ पर राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता पूरी मुस्तैदी से डटे रहे।

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