0 मामला बीहड़ के सिद्धपुरा बालिका इंटर कालेज का
0 प्रधानाध्यापक सहित सात शिक्षकों की है कालेज में तैनाती
रामपुरा (जालौन)। सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने के लिये केंद्र व राज्य सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही है लेकिन अध्यापकों के मनमाने रवैये ने बालिकाओं के भविष्य को चैपट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हर वर्ष लाखों रुपये का वेतन पाने के बावजूद शिक्षक विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में तनिक भी चूक नहीं कर रहे है। अक्सर शिक्षक स्कूलों से गैरहाजिर ही रहते है विद्यालय में सुवह अधिकारियों के भय से ताला खोलकर खानापूर्ति के बाद मौका पाकर ताला जड़कर अध्यापक घर के लिये रवाना हो जाते है।
ऐसा ही हाल विकास रामपुरा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सिद्धपुरा का मामला सामने आया है जहां सात अध्यापकों की तैनाती के बाद भी बालिकाओं को विद्यालय की दहलीज से वापस लौटना पड़ रहा है जबकि अध्यापकों से सवाल करने पर वह बच्चों के ना आने का बहाना बताकर पल्ला झाड़ देते है। ग्रामीणों का कहना है कि राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सिद्धपुरा में प्रधानाचार्य सहित सात शिक्षकों की तैनाती है। इसके बाद भी बालिकाओं को विद्यालय की तहलीज से खाली हाथ ही वापस लौटना पढ़ रहा है। मनमानी के रवैये से बालिकाओं का भविष्य अंधेरे में रखने की ठानी है समय के पूर्व ही विद्यालय में ताला लटकने से जिम्मेदारों की कार्य शैली से अनुमान लगाया जा सकता है जबकि विद्यालय में अध्यापिका अनीता, दीपा, निधी, अल्का अध्यापक प्रमोद, प्रध्यापक मुकेश भूषण की तैनाती है विदित हो कि पूर्व में जिलाधिकारी मन्नान अख्तर द्वारा विद्यालय में बालिकाओं के प्रतिभा को बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जीआईसी सिद्धपुरा में कार्यक्रम कर बीहड़ क्षेत्र की बालिकाओं की शिक्षा को सुधारने के लिए एक अनूठी पहल की गई थी। लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की पहल को विद्यालय के अध्यापक अध्यापिकाएं पलीता लगाते हुए नजर आ रही है। सोमवार को जीआईसी सिद्धपुरा कालेज अपने निर्धारित समय पर खुला लेकिन अध्यापक अध्यापिकाओं के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण बालिकाओं को समय से पहले ही घर की तरफ रवाना कर दिया गया तथा एक बजे विद्यालय में तालाबंदी कर अपने अपने घर की ओर चले गए। जबकि 24 मार्च से बोर्ड की परीक्षाऐं शुरू होनी है और बिना निर्देश प्राप्त अपने बालिकाओं का घर वापस लौटना उनके भविष्य के लिए समस्या खड़ी कर सकता है। जबकि विद्यालय के जिम्मेदार प्रधानाध्यापक ने बचाव में पल्ला झाड़ते हुए कहा कि परीक्षा के लिये बालिकाओं के प्रवेश पत्र लेने के लिये जाना पड़ा तो वहीं अध्यापिकाओं की गैरहाजिरी में बीमारी का बहाना बताया।
फोटो परिचय—
जीआईसी सिद्धपुरा में लटकता ताला।