अभय प्रताप सिंह
ललितपुर। होलिकोत्सव पर बच्चों ने खूब होली खेली एक दूसरे को रंग गुलाल लगाया एवं नगाड़े और बाजों की धुन पर खूब नाचे। वहीं कुछ बच्चों ने फूलों की होली खेली। अहिंसा सेवा संगठन के संस्थापक विशाल जैन पवा ने कहा कि सद्भावना सौहार्द प्रेम स्नेह और भाईचारे की प्रतीक होली की परम्परा यही बच्चे जीवंत किये हुए हैं
जो बिना किसी छल कपट के निस्वार्थ भाव और निर्दोष भावना से रंगों की होली खेलते हैं। इसे समयाभाव कहें या अरूचि अब रंगों को छोड़कर सभी गुलाल तक सीमित हो गये हैं या होली से दूरी बना रहे हैं। एक समय रंगों के साथ कीचड़ की भी होली खेलने की परम्परा थी क्योंकि लोग धैर्यवान और सहनशील थे।