अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। जल स्तर को बनाये रखने के साथ जानवरों को पीने के लिए पानी व सिचाई के लिए गांव में तालाबों को बनाया गया है। विकास खंड के ग्राम गायर में 2 एकड़ का तालाब ग्रामीणों की उपेक्षा तथा बढ़ते अतिक्रमण के कारण सिकुड़ने लगा है। तालाब में उगी घास के कारण तालाब के पानी का उपयोग होना बंद हो गया है।
विकास खंड के ग्राम गायर में मंदिर के पास प्राचीन तालाब स्थिति है। गांव के जल स्तर को बनाये रखने, पशुओं पक्षियों को गर्मी के मौसम में पेयजल उपलब्ध कराने तथा लोगों को कपड़े धोने जैसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए गांव में लगभग 100 वर्ष पूर्व तालाब बनाया गया था। गर्मी के मौसम में होने वाली आगजनी की घटनाओं के दौरान भी लोग इसके पानी का प्रयोग ग्रामीण करते थे।गांव का तालाब पानी से भरा रहे तथा इसका उपयोग सिचाई के लिए भी हो सके। इसके लिए सिचाई विभाग ने तालाब को भरने के लिए ट्यूबवेल भी लगाया है। गांव में स्थित 2 एकड़ का तालाब ग्रामीणों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। ग्रामीणों द्वारा लगातार उसमें कूड़ा डालने तथा कुछ लोग द्वारा उस पर अतिक्रमण करने के कारण तालाब सिकुड़ता जा रहा है। प्रशासन द्वारा तालाब के अतिक्रमण को हटाने व उसकी सफाई न कराये जाने के कारण तालाब मे घास उग आयी। तालाब में उगी घास के कारण ग्रामीण उसमें पशुओं तक को पानी नहीं पीने देते हैं। तालाब में उगी घास के कारण तालाब के पानी का भी उपयोग बंद हो गया है। सचिव नीता राठौर ने बताया कि गांव में एक और तालाब है जिसकी खुदाई करायी जा रही है। भविष्य में इसके लिए भी कार्य योजना बनाई जायेगी।
फोटो परिचय- गायर का तालाब