
बबलू सेंगर महिया खास
जालौन। सरकार एक ओर पर्यावरण को बचाने और हरियाली बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर प्रतिवर्ष बड़े पैमाने पर पौधारोपण करा रही है, वहीं दूसरी ओर वन विभाग की लापरवाही और ठेकेदारों की मिलीभगत से हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटान खुलेआम जारी है। आलम यह है कि रात के अंधेरे का फायदा उठाकर लकड़ी माफिया ट्रैक्टरों से पेड़ों की लकड़ी की ढुलाई कराते हैं और आरा मशीनों पर उसकी चिराई करवा दी जाती है। इस अवैध धंधे से जहां सरकार की मंशा को ठेस पहुंच रही है, वहीं पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
सरकार पौधारोपण के साथ ही लगाए गए पौधों की सुरक्षा के लिए भी विशेष योजनाएं चला रही है। इसके बावजूद वन विभाग की कार्यशैली सरकार की योजनाओं पर पानी फेर रही है। विभाग के कुछ कर्मचारियों पर आरोप है कि वे मुनाफे के लालच में लकड़ी माफिया से मिलीभगत कर पेड़ों की कटान करवाते हैं। कई बार लकड़ी की खेप पकड़े जाने के बावजूद सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती है और असल दोषी बच निकलते हैं। जैसे ही शाम ढलती है और सड़कों पर सन्नाटा छा जाता है, वैसे ही लकड़ी माफिया सक्रिय हो जाते हैं। ट्रैक्टर और अन्य वाहनों से शीशम और नीम जैसे प्रतिबंधित पेड़ों की कटान कर उन्हें आरा मशीनों तक पहुंचाया जाता है। वहां बड़े पैमाने पर लकड़ी की चिराई की जाती है और फिर उसे बाजार में खपाकर मुनाफा कमाया जाता है। बंगरा मार्ग, चुंगी नंबर चार के आसपास चल रही आरा मशीनों पर लगातार इस तरह की अवैध चिराई हो रही है। इसको लेकर समय समय वीडियो भी वायरल होते हैं। इसके बाद भी प्रतिबंधित पेड़ों की लकड़ी खुलेआम मशीनों पर काटी जा रही है। हरियाली बचाने के लिए जिस नीयत से पौधारोपण कराया जा रहा है, वह वन विभाग की अनदेखी के कारण व्यर्थ साबित होता दिख रहा है। इस मामले में वन विभाग की अनदेखी लोगों में संदेह पैदा कर रही है।



