
बबलू सेंगर महिया खास
जालौन। प्रदेश सरकार आम जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने और ग्रामीण अंचलों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए लगातार योजनाएं चला रही है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला आयोजित किया जाता है, ताकि लोगों को मुफ्त उपचार और जांच की सुविधा समय पर मिल सके। लेकिन जालौन नगर के हरीपुरा स्थित नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर रविवार को आयोजित मेला विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ गया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अस्पताल सुबह निर्धारित समय पर खुला जरूर था, लेकिन दोपहर ढाई बजे ही डॉक्टर और पूरा स्टाफ अस्पताल बंद करके चला गया। जब करीब दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर कुछ लोग अस्पताल पहुंचे तो वहां ताला लटका मिला। मरीज और उनके परिजन ताला देखकर निराश लौट गए। आसपास मौजूद लोगों ने बताया कि डॉक्टर और स्टाफ दोपहर में ही अस्पताल से रवाना हो गए थे। मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेले का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी गरीबों को समय पर चिकित्सा सुविधा देना है। इस योजना के तहत न सिर्फ सामान्य बीमारियों की जांच और दवा उपलब्ध कराई जाती है, बल्कि गंभीर बीमारियों की पहचान कर उन्हें उच्च संस्थान तक रेफर भी किया जाता है। ऐसे में यह अपेक्षा रहती है कि मेले के दिन अस्पताल पूरी गंभीरता से काम करे और शाम चार बजे तक तक मरीजों को सुविधा दे। लेकिन हरीपुरा अस्पताल की लापरवाही ने सरकार की मंशा और जमीनी हकीकत के बीच का अंतर साफ कर दिया है। दोपहर बाद पहुंचे मरीज अखिलेश, विनोद, अजीत आदि जब अस्पताल का गेट बंद देखकर लौटे तो उन्होंने नाराजगी जताई। लोगों का कहना है कि सरकार मुफ्त इलाज की बात करती है लेकिन डॉक्टर और स्टाफ अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं निभाते। अगर अस्पताल समय से पहले ही बंद कर दिए जाएंगे तो गरीब जनता इलाज के लिए कहां जाएगी। स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया कि आखिर इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन है। जन आरोग्य मेले की सूचना पहले से दी जाती है और इसके लिए विशेष व्यवस्थाएं भी की जाती हैं। इसके बावजूद यदि स्टाफ समय से पहले अस्पताल बंद कर देता है, तो यह सीधी लापरवाही है। लोगों की मांग है कि इस मामले की जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।



