0 प्रचार-प्रसार न होने से ज्यादातर राहगीर रहते अनजान
अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। निर्धन बेसहारा लोगों को ठंड से बचाव के लिए खोले गए रैन बसेरा में प्रचार प्रसार के अभाव में अभी तक मात्र 2 व्यक्तियों ने ही रैन बसेरा में रात गुजारी है। एक माह से अधिक समय में अधिकांश रातों में रैन बसेरा खाली ही नजर आता है।
नगर पालिका परिषद द्वारा एक माह पूर्व नगर पालिका परिसर में रैन बसेरा खोला गया था। ताकि नगर से निकलने वाले राहगीर और खुले आसमान के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों को रात गुजारने के लिए परेशान होना पड़े। नगर पालिका परिसर में खुले अस्थाई रैन बसेरा में 10 लोगों के रूकने की व्यवस्था की गई है। जिसमें कंबल व गद्दों की व्यवस्था की कराई गई है। नगर पालिका परिसर में ही खुले रैन बसेरा मंे पेयजल व शौचालय की व्यवस्था के लिए नगर पालिका परिसर में बने शौचालय हैं। नगर पालिका द्वारा रैन बसेरा तो खोल दिया गया लेकिन इसका प्रचार प्रसार नहीं किया गया। जबकि खासतौर पर नगर के प्रमुख चैराहा देवनगर चैराहा और पं. दीनदयाल उपाध्याय चैराहा पर रैन बसेरा के लिए प्रचार प्रसार की आवश्यकता थी। क्योंकि इन दोनों चैराहों पर ही अक्सर लोग साधन न मिलने पर सर्दी में रात गुजारते नजर आते हैं। प्रचार प्रसार न होने से अधिक लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। यही कारण है कि एक माह से अधिक समय बीत चुका है लेकिन अभी तक रैन बसेरा में मात्र दो व्यक्ति ही रूके हैं। जिनमें रेंढ़र थाना क्षेत्र के ठाकुर प्रसाद ने दो बार एवं रमेश फर्दनवीस ने एक बार रैन बसेरा में रात गुजारी है। नगर के इब्राहीम सिद्दीकी, जहांगीर आलम, अक्षत चंसौलिया आदि का कहना है कि नगर पालिका को चाहिए कि नगर के मुख्य चैराहा देवनगर चैराहा, कोंच चैराहा और मंडी में बाहर के लोगों का आना जाना होता है। ऐसे स्थान पर रैन बसेरा की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा नगर पालिका परिसर में जो रैन बसेरा खुला हुआ है वहां खाने पीने की भी व्यवस्था की जाए। ताकि लोगों को भूखे पेट नहीं सोना पड़े। बताया कि नगर में अंदर खुले रैन बसेरे के बारे में बाहर के लोगों को पता नहीं चल पाता है इसलिए इसका प्रचार प्रसार भी कराया जाए।