अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। भक्तों के पापों का हरण कर लेने वाला ही ईश्वर है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने का लाभ तभी है जब हम इसे अपने जीवन में उतारें और उसी के अनुरूप व्यवहार करें। सात दिनों की भागवत कथा में जो कुछ आपने सुना है उसे अपने जीवन में भी उतारने का प्रयास करें। तभी आपका भागवत कथा को सुनना सार्थक है। यह बात कथा व्यास देवांसजी महाराज ने बडी माता मंदिर पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कहीं।
नगर के बड़ी माता मंदिर परिसर पर आयोजित श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन कथा व्यास देवांसजी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कथा सुनने से मानव जीवन में संस्कार का उदय होता है। जीवन में कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न आ जाए मुनष्य को अपना धर्म व संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे ही मनुष्य जीवन के रहस्य को समझ सकते हैं। कहा कि जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति है, वही जीवन धन्य है। ईश्वर ने विभिन्न लीलाओं के माध्यम से जो आदर्श प्रस्तुत किया, उसे हर व्यक्ति को ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन मूल्यों के बारे में जानकारी मिलने के साथ-साथ अपने कर्तव्य को भी समझा जा सकता है। उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जी से समझ सकते हैं। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। महल में पहुंचने पर श्रीकृष्ण ने दरवाजे पर ही उनका स्वागत किया। कृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया उनके चरण धोए और बिन मांगे ही उन्हें सब कुछ दे दिया। इस मौके पर पारीक्षित भरत सक्सेना, श्रीमती प्रेमलता, रामजी महाराज, मोनू महाराज, सौरभ, रामजी, अनिल कुमार, कल्लू, दिव्याशु महाराज, दीपक मंहत, शंकर मंहत आदि भक्तों ने श्रीमद भागवत कथा का श्रवण कर जीवन में अच्छे कर्मों को अपनाने की प्रेरणा ली।