माधौगढ़(जालौन)। ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र भगवान परशुराम को अपने पिता का आज्ञाकारी होने के लिए मां का ही सिर काटना पड़ा था। हालांकि पिता के आशीर्वाद से मां को उन्होंने फिर से जीवित करने का वरदान ले लिया था। ऐसे भगवान परशुराम का अक्षया तृतीया के दिन जन्म हुआ था। विप्र समाज के साथ-साथ अन्य वर्ग के लोग भी अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम जयंती मनाते हैं। नगर में भी परशुराम सेना की ओर से परशुराम जयंती का आयोजन रामेश्वर मंदिर पर किया गया। इस दौरान अमरनाथ शर्मा,अनुराग दीक्षित,राघवेंद्र व्यास,संजय गुबरेले,राहुल मिश्रा,दीनबंधु द्विवेदी,राहुल शर्मा आदि वक्ताओं ने भगवान परशुराम के बारे में विचार रखते हुए अगले साल परशुराम जयंती पर भव्य शोभायात्रा निकालने की बात कही। यही नहीं संभव हुआ तो सभी विप्र समुदाय के लोगों को साथ लेकर भगवान परशुराम की मूर्ति भी स्थापित की जाएगी। भगवान परशुराम के बारे में धरती को 17 बार क्षत्रिय विहीन करने का कुप्रचार किया जाता है,जबकि उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अत्याचारी,दुराचारियों और दुष्टों के संहार के लिए फरसा उठाया था। वक्ताओं ने कहा कि ब्राह्मण तो क्षमाशील और दानी रहा है। उसने कभी अपने लिए समाज के लिए अपना सर्वस्व त्याग कर भिक्षा मांगने का काम किया है। कार्यक्रम का संचालन प्रिन्स द्विवेदी ने किया। इस दौरान गुड्डू मिश्रा,नीतू दीक्षित,नीरज पाठक,नीतू व्यास,शिवा मिश्रा,अक्कू नायक,रामआसरे शर्मा,मोहित तिवारी,आशु दुबे,छोटू गोश्वामी,पवन व्यास,प्रमोद मिश्रा,पंकज दोहलिया,शिवम,अनमोल मिश्रा,राहुल दुबे,पवन दूरवार आदि लोग रहे।
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