अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। मरकज जामा मस्जिद में शब-ए-कद्र की फजीलत बताते हुए जलसे का आयोजन किया गया। जिसमें धर्मगुरूओं ने शब ए कद्र को हजार रातों से बेहतर बताया। शब ए कद्र को लेकर स्थानीय मरकज जामा मस्जिद में जलसा आयोजित किया गया। जलसे की शुरूआत कुरआन की तिलावत के साथ की गईं इसके बाद नात शरीफ की पेशकश हुई। मौलाना सुल्तान, मौलाना उवैश ने बताया कि इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि शब-ए-कद्र अल्लाह ने सिर्फ मेरी उम्मत (अनुयायी) को अता फरमाई है। जिसमें इबादत करने का सवाब हजार रातों की इबादत से ज्यादा है। शब-ए-कद्र की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि अल्लाह ने अपने बंदों की रहनुमाई के लिए इसी रात में कुरआन को आसमान से जमीन पर उतारा था। यही वजह कि इस रात में कुरआन की तिलावत भी सिद्दत से करनी चाहिए। शब-ए-कद्र गुनाहगारों के लिए तौबा के जरिए अपने गुनाहों की माफी मांगने का बेहतरीन मौका होता है। अकीदत और ईमान के साथ इस रात में इबादत करने एवं तौबा करने वालों के पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। बहराइच से आए मौलाना शिबली बहराइची ने बताया कि शब ए कद्र की रात को हजार रातों से बेहतर रात बताया गया है। इस रात की फजीलत खुद कुरआन में बयान करते हुए कहा गया है कि इस रात खुदा खुद आवाज लगाता है कि है कोई माफी का तलबगार, जिसे मैं माफ कर दूं। है कोई रिज्क का चाहने वाला, जिसका रिज्क अता कर दूं। मतलब यह कि इस रात में मांगी गई बंदे की हर दुआ कुबूल होती है। लिहाजा, शब-ए-कद्र की रात में लोगों को इबादत में मशगूल रहना चाहिए। जिनमें नफिल नमाज, कुरआन की तिलावत, तसबीहात (जाप) आदि पढ़ना अहम है। इस मौके पर कारी अब्दुल्ला कमर, हाजी नफीस, नूरूल इस्लाम, रिजवान अहमद, जावेद अहमद, मौलाना अलकमा, जियाउल इस्लाम, मौलाना सुल्तान, मौलाना उवैश, मौलाना साकिब, शकील अहमद, मोहम्मद आफाक, इस्माईल उर्फ पप्पू, तौफीक, हाजी अतीक, छिद्दी राईन आदि सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।