जालौन

श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म की कथा का प्रसंग सुन लोग हुए मंत्र-मुग्ध

अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास

जालौन (उरई) । नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की उद्घोष के साथ श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म की कथा का प्रसंग श्रीवीर बालाजी हनुमान मंदिर में भगवताचार्य पंण् सत्यम व्यास ने सुनाया। श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनकर श्रोता भावविभोर हुए। उरई मार्ग पर स्थित श्रीवीर बालाजी हनुमान मंदिर पैट्रोल पम्प पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रीमद्भागवत कथा की अमृत वर्षा करते हुए अमृतसर से पधारी कथा व्यास पंण् सत्यम ने कहा कि कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग एवं मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब.जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब.तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण का कारागार में जन्म हुआ तो रात के आधे काल में सब पहरेदार सम्मोहन में आ गए। वासुदेव की बेड़ी खुल गई। तब देवकी के परामर्श पर वह बालक को टोकरी में रखकर यमुना पार कर गोकुल में नंदग्राम में कन्या से बदल आए। उस समय यमुना पूरे उफान पर थी। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के पैर का स्पर्श होते ही वह शांत हो गई। नंद के यहां 75 वर्ष बाद बालक हुआ था तो इस पर नंदग्राम में खुशियां मनाई गई। उधरए कंस को सूचना दी कि देवकी को आठवां बालक हुआ है तो उसने देवकी से कन्या को छीनकर पत्थर पर पटकना चाहा। लेकिन वह आकाश मार्ग से स्वर्गारोहण कर गई और कंस को बता दिया कि तेरा मारने वाला ब्रज मंडल में अवतरित हो गया है। श्रीकृष्ण के जन्म पर श्रोताओं ने भाव विभोर होकर नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की का उद्घोष किया। कथा व्यास ने अपील की कि सभी अपने परिवारों को सुधारें तो पूरा भारत देश सुंदर हो जाएगा।इस मौके पर पारीक्षत मंदिर के पुजारी कमलेश महाराज अंजनी श्रीवास्तव देवेन्द्र प्रजापति राघवेंद्र त्रिवेदी भगवानदास गुप्ता राजकुमार विश्नोई यखिल पटेल आलोक शर्मा पवन संतोष रिषभ निखिल सुनील पुष्पा निरंजन आरती मनोरमा सुनीता ममता अनीता संध्या गरिमा आदि भक्त उपस्थित रहे।
फोटो परिचय-कथा सुनाते भगवताचार्य

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