अनुराग श्रीवास्तव के साथ बबलू सिंह सेंगर महिया खास
जालौन (उरई)। मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। यह बात श्रीवीर बालाजी हनुमान मंदिर पर आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास सत्यम व्यास जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कही।
श्रीवीर हनुमानजी बालाजी मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भगवताचार्य सत्यम व्यास ने श्रोताओं को बताया कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। गुरू की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा कि गुरूकी महत्ता हमारे जीवन में अनुपम है क्योंकि गुरू के बिना हम जीवन का सार ही नहीं समझ सकते हैं। लेकिन हमेशा इस बात का सदैव ही ध्यान रखना चाहिए कि गुरू के समक्ष चंचलता नहीं करनी चाहिए जितनी आवश्यकता है उतना ही बोलें और जितना अधिक हो सके गुरू की वाणी का श्रवण करें। कहा कि संतो का सत्संग करते समय यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें कोई बीमारी नहीं आएगी, हमारा परिवार खुशहाल रहेगा या फिर हमारा व्यापार अच्छा चल जाएगा, यह तो प्रारब्ध होता है जो इस दुनिया में आया है उसे एक दिन जाना ही है। जब लाभ होता है तो हानि भी निश्चित होती है। सत्संग तो जीवन की धारा बदल देता है जिसमें आप ज्ञान और भक्ति की धारा में बहने लगते हैं। कथा श्रवण करने वालों में पारीक्षित कमलेश पुजारी पुष्पा देवी, राजकुमार विश्नोई, भगवान दास गुप्ता, मनोज द्विवेदी, आलोक शर्मा, बबलू सेंगर, कमलेश, गंगाराम गुप्ता, अनुराग, देवेंद्र कुमार, यखिल पटेल, रिषभ यादव, शिवम, अरविंद सोनी, कमल कुमार निरंजन, नरेंद्र, प्रशांत, प्रियांश, रिषभ, सन्नी, अंशुल गुर्जर, पुष्पा निरंजन, मीना, मंजू, नीलम , अर्चना, ममता, सुनीता, अपर्णा, कल्पना, विनीता, संगीता, विवेचना, प्रवीना आदि भक्त मौजूद रहे।
फोटो परिचय—-
भागवताचार्य सत्यम मिश्रा।