
बबलू सेंगर महिया खास
जालौन। शनिवार को नगर व ग्रामीण क्षेत्र में देवोत्थान एकादशी का त्योहार बड़े ही हर्षाेल्लास से मनाया गया। इस दिन गन्ने की पूजा और ठाकुरजी को आग के समीप बैठाकर तपाए जाने की भी परंपरा निभाई गई। मान्यता के अनुसार इस दिन से मांगलिक कार्यों का आयोजन शुरू हो जाता है। इस दिन जहां घरों में स्त्रियों ने तुलसी, शालिग्राम का ब्याह रचाया वहीं, छठी माता के मंदिर पर लगे मेले में नगर व ग्रामीण क्षेत्र की हजारों महिलाओं ने छटी माता मंदिर पर पहुंच कर पूजा-अर्चना की।
देव-उत्थान एकादशी पर लोगों ने गन्ना की पूजा की। गन्ने का घर में आंगन के बीचों बीच मंडप लगाकर उसके नीचे ठाकुरजी को बैठाकर उनकी पूजा-अर्चना की। पूजा के दौरान ठाकुरजी को आग से तपाए जाने का भी प्रावधान है। माना जाता है कि आज के दिन से ही सर्द ऋतु की हवाओं का चलना आरंभ हो जाता है। इस माह की एकादशी को ‘प्रबोधनी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। कई शास्त्रों के अनुसार ठाकुरजी अषाढ़, सावन, भादौं व क्वांर मास में विश्राम के लिए जाते हैं। एकादशी को वे जाग जाते हैं और इसके साथ ही घरों में मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन महिलाएं तुलसी-शालिग्राम के विवाह का आयोजन करती हैं। इसी दिन चातुर्मास की समाप्ति होती हैं और कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं द्वारा छटी माता मंदिर में विशेष पूजा अर्चना मंदिरों में की गई।



