
सत्येन्द्र सिंह राजावत
उरई (जालौन)। उत्तर प्रदेश सरकार ने उ०प्र० कृषि निर्यात नीति-2019 में अधिसूचित की थी, जिसका प्रमुख उद्देश्य प्रदेश से कृषि निर्यात को बढ़ाना है। प्रदेश में कृषि निर्यात की नोडल एजेन्सी कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय, उ०प्र० को नामित किया गया है। जिला स्तर पर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में “जिला स्तरीय क्लस्टर सुविधा इकाई का गठन किया गया है। ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक धीरपाल सिंह, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग द्वारा जनपद के किसान उत्पादन संगठन / प्रगतिशील किसानों (हितधारकों) के साथ बैठक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे उ०प्र० कृषि निर्यात प्रोत्साहन अनुदान, भौगोलिक उपदर्शन (जी०आई०), एगमार्क वर्गीकरण एवं मंडी अधिनियम (संशोधन) 2018 में प्रदत्त प्राविधानों/ सुविधाओं पर जानकारी प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 में प्राविधानित प्रोत्साहन / सब्सिडी- कृषि निर्यात उन्मुख क्लस्टर को बनाने, पंजीकरण एवं निर्यात दायित्व पूर्ण होने पर विकास खण्ड की सीमान्तर्गत प्रथम 50 हे० से 100 हे० तक 05 वर्षों में रू० 10 लाख एवं प्रत्येक 50 हे० अतिरिक्त क्षेत्रफल बढने पर रू० 06 लाख अतिरिक्त प्रोत्साहन देय है, उत्पादन का 30 प्रतिशत निर्यात होने की दशा में। जनपद में प्रोत्साहन राशि एफ०पी०ओ०/ एफ०पी०सी०/ किसान समूह अथवा समिति को ही अनुमन्य। जनपद में डकोर मटर प्रोडूसर कम्पनी लिमिटेड उरई (जालौन) एवं सीताराम ओवरसीज प्रोडूसर कम्पनी लिमिटेड उरई (जालौन) के द्वारा हरी मटर के कुल 3 क्लस्टर गठन हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है। क्लस्टर्स के निकट स्थापित की जाने वाली नवीन प्रसंस्करण इकाईयों के लिए निर्यात आधारित प्रोत्साहन क्लस्टर के निकट नई प्रसंस्करण इकाई, पैकहाउस, शीतगृह एवं राइपेनिंग चैम्बर आदि स्थापित करने एवं निर्यात दायित्व पूर्ण होने पर रू० 25 लाख या टर्न ओवर का 10 प्रतिशत जो भी कम हो निर्यात प्रारम्भ करने के एक वर्ष से न्यूनतम 40 प्रतिशत निर्यात करने पर 05 वर्षों तक देय। कृषि उत्पादों व प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात हेतु परिवहन अनुदान की अधिकतम सीमा वास्तविक भुगतान किये गये भाड़े का 25 प्रतिशत होगी तथा परिवहन अनुदान मद में प्रतिवर्ष अधिकतम रू० 20 लाख प्रति निर्यातक / फर्म को देय होगा। (उक्त परिवहन अनुदान मांस एवं चीनी के निर्यात पर देय नहीं होगा) कृषि निर्यात पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन और प्रौद्योगिकी में डिग्री/डिप्लोमा/सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम संचालित करने हेतु प्रोत्साहन देय है। अन्य प्रदेशों से विहित शुल्क का भुगतान करने के पश्चात लाये गये बासमती धान को उत्तर प्रदेश में प्रसंस्करण कर निर्मित चावल के निर्यात करने पर मण्डी शुल्क एवं विकास सेस से शत-प्रतिशत छूट देने का प्राविधान। Good Agricultural Practices अथवा समकक्ष प्रमाणीकरण हेतु कुल व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रुपया 1.50 लाख एक वित्तीय वर्ष में। जैविक/प्राकृतिक अथवा समकक्ष प्रमाणीकरण हेतु कुल व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रुपया 1.00 लाख एक वित्तीय वर्ष में। कृषि एवं कृषि प्रसंस्कृत उत्पाद के नमूनों का आयातक देश के एम०आर०एल० (Maxi. Residue level) मानों के अनुसार परीक्षण हेतु कुल व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रु० 1.00 लाख एक वित्तीय वर्ष में।
उन्होंने कहा कि भौगोलिक उपदर्शन (जी०आई०) टैग वाले कृषि उत्पाद- जनपद में बुन्देलखण्ड कठिया गेहूं को जी०आई० टैग प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि जी०आई० टैग वाले कृषि उत्पादों के लाभ एवं महत्व- जी०आई० टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। जी०आई० टैग के द्वारा कृषि उत्पादों के अनधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है। यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों का महत्व बढ़ा देता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जी०आई० टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है। विशिष्ट कृषि उत्पादों को पहचान कर उनका भारत के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार-प्रसार करने में आसानी होती है।
उन्होंने उ०प्र० मण्डी अधिनियम 2018 के अंतर्गत प्राविधान के सम्बंध में कहा कि भाण्डागारों, शीतगृहों एवं अन्य स्थानों को मण्डी उपस्थल घोषित कराने हेतु शासन को संस्तुति करना। उ०प्र० मण्डी अधिनियम के अन्तर्गत मण्डी स्थलों से बाहर उत्पादक से सीधा थोक क्रय एवं निजी मण्डी हेतु लाइसेंस प्रदान करना।
लाभ- किसानों को अपनी उपज बिक्री के वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराना जिससे वह अपनी सुविधानुसार स्थान का चयन कर उपज बिक्री कर सकें।
बैठक में किसान उत्पादक संगठन (FPO)/ किसान उत्पादक कंपनी (FPC) एवं प्रगतिशील किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया।



